-अनुराधा शर्मा

        पर कतर दो कि लगा दो ज़ुबानों पे ताले

        होगा पिंजरे में परिन्दा तो फड़फड़ाएगा ही।

सो आज बच्चों के लिये हर तरह की स्वतंत्रता बहुत ज़रूरी है। लेकिन अगर यूं कहा जाये कि बच्चों की स्वतंत्रता पूरी तरह उनके हित की या समाज और देश हितकारी है तो सरासर ग़लत होगा, क्योंकि अकेले फूल शायद ही कभी मिले हों कांटे भी साथ होते ही हैं। हां यह बात अलग है कि अगर स्वतंत्रता शालीनता की सीमा में हो तो कोई नुकसान नहीं और यह सीमा भी बेटा-बेटी के लिये समान ही हो।

आज के आधुनिक युग में बच्चों के पास हर सुविधा है। यहां स्वतंत्रता का यह मतलब नहीं होगा कि आप उनकी किसी भी गतिविधि पर नज़र न रखे क्योंकि कम्प्यूटर, सी. डी. वगैरह उपकरणों के इस्तेमाल से जो ख़तरनाक नतीजे सामने आ रहे हैं वह सर्व-विदित हैं। बच्चों के पास सभी आधुनिक सुविधाओं को इस्तेमाल करने की स्वतंत्रता हो पर आपकी आंख के नीचे। और अगर बच्चा खेलना चाहे या कोई ऐसा काम करना चाहे जिस से उसका फ़ायदा हो तब तो स्वतंत्रता अति आवश्यक है क्योंकि पता नहीं कौन-सा बच्चा सचिन, एडिसन या लता मंगेशकर बन जाये। आज बच्चे भी अपनी स्वतंत्रता की मांग करते कहते हैं किः-

     अपने दिन याद कर उछलते हो

     फिर हमारी बारी ही क्यों अकड़ते हो।

इस लिये बच्चों के लिए स्वतंत्रता अति आवश्यक है पर अपने बच्चों की हर एक क्रिया-कलाप पर नज़र रखनी चाहिये इस से आपका भी भला है और देश का भी, और अगर आपने बच्चों को सभी सुविधाएं जुटा दीं और उसके बारे में आपको तनिक भी जानकारी नहीं है तो कल को आपके बच्चे पथ भ्रष्ट हो जायेंगे फिर पता नहीं कौन बच्चा उसलामा-बिन-लादेन या वीरप्पन बन जाये। क्योंकि मेरे ख़्याल से स्वतंत्रता तो दूर की बात कोई भी बात बचपन में अधिकतर मात्रा में फ़ायदेमंद नहीं होती।

One comment

  1. It is best to take part in a contest for the most effective blogs on the web. I will recommend this web site!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*