-डॉ.शशिकांत कपूर

किसी भी गृहिणी को उत्तम गृहिणी बनने के लिए क्या कुछ करना पड़ता है या उसमें किन गुणों का होना आवश्यक है यह बात इस पर निर्भर नहीं करती कि बाहर से देखने में वह कितनी सुन्दर है, इस का तौर तरीक़ा, आत्मविश्वास, सकारात्मक सोच, बैठने उठने का सलीक़ा आदि एक सफल गृहिणी के महत्वपूर्ण गुणों में शामिल है।

विवाह के बाद ख़ास कर स्त्री को चाहिए कि वह अपने व्यक्तित्व को निखारने की तरफ़ ध्यान दे, प्रयासरत रह कर वह अपनी कार्यकुशलता को बढ़ा सकती है। व्यक्तिगत स्वस्थता और खुश रहने की कला भी उस के लिए बेहद ज़रूरी है। विवाह हो जाने का अर्थ यह नहीं है कि कुंवारेपन का अध्याय पूरी तरह समाप्त हो गया है, एक कुंवारी कन्या में जो भी गुण विद्यमान है उन का शोधन करने के साथ ही एक नए अध्याय की शुरुआत हो जाती है। परिवर्तन प्रकृति का नियम है और जो स्त्री परिवर्तन को सहर्ष स्वीकार कर लेती है वह अपने व्यक्तित्व के विकास को भली भांति कर पाने में समर्थ होती है।

प्रसिद्ध लेखक नॉर्मन विसेंट का मत है “अपने व्यक्तित्व के सकारात्मक गुणों का विश्लेषण करें तो पाएंगे कि आप उतनी हीन नहीं हैं जितना कि समझती हैं।” गृहिणी के रूप में बेहतर ज़िन्दगी के लिए उत्कृष्ट एवं दक्ष बनने की ओर प्रयास करिये। व्यक्तित्व को निखारने की प्रक्रिया बहुत लम्बी होती है पर यह काम नामुमकिन नहीं है।

कम्युनिकेशन स्किलः– व्यक्तित्व को निखारने में बातचीत की अहम भूमिका होती है, यह बातचीत की कला आप को लोगों में लोकप्रिय बनाती है आप को सफलता भी दिलाती है। जो भी बोलें वह संतुलित और तर्कसंगत हो, सुनने की कला की ओर भी ध्यान दें। प्रसिद्ध विचारक डेविड जे. श्वाट्र्ज का मत है अनावश्यक बहस को जितना संभव हो टालें, नपी-तुली और तर्कसंगत बातें ही आप की सफलता के लिए मायने रखती हैं, निरर्थक बहस नुक़सानदेह होती है।

सकारात्मक सोचः- गृहिणी के रूप में स्वयं को निखारने और प्रशिक्षित करने के लिए सकारात्मक सोच को अपनाएं, तुरन्त होने वाले फ़ायदे की अपेक्षा दूरदर्शी बन कर बाद में एवं देर तक मिलने वाली खुशियों, फ़ायदों को अहमियत दें, सिर्फ़ अपने संबंध में मत सोचें दूसरों के बारे में भी अपनी सोच को सकारात्मक रखें।

आत्मविश्वास बनाए रखेंं:- अपने आत्मविश्वास और आत्मसम्मान को अपनी मज़बूती बनाएं, यदि आप में कुछ कमज़ोरियां और कमियां हैं तो उन्हें खुद पर हावी न होने दें। दुनिया में कौन है जिस में कुछ कमियां नहीं हैं, अपनी अच्छाइयों पर विशेष ध्यान दें इससे आप का आत्मविश्वास बढ़ेगा।

अपनी बात मनवाने में जल्दबाज़ी न करें, धैर्य से काम लें:– सरोज शादी के बाद जब ससुराल आई तो उसने देखा कि ड्राइंग रूम के परदे बदलने वाले हैं। दीवार के डिस्टेम्पर से मैचिंग नहीं हैं, उस ने अगली दीपावली तक इंतज़ार किया और वक़्त आने पर अपनी सास पर इच्छा प्रगट की। सास तुरन्त मान गई और बहूू को उस की इच्छानुसार परदे लगवाने के लिए स्वीकृति दे दी। जब हम जल्दबाज़ी में होते हैं तो बनते काम भी बिगड़ जाते हैं। सोच समझ कर निर्णय लेने की आदत को विकसित करें।

रिश्तों का निबाहः– अपने आत्मसम्मान को बरक़रार रखते हुए रिश्तों को मधुर बनाना मुमकिन है। रिश्तों में आनंद महसूस करने के लिए ज़रूरी है कि सभी नए पुराने रिश्तों की पकड़ मज़बूती के साथ करें, हर रिश्ते की अपनी अहमियत होती है और किसी भी रिश्ते को नज़र अंदाज़ नहीं किया जा सकता है। पूरी ज़िंदगी इन्हीं रिश्तों के साथ बीत जाती है। रिश्ते अगर मज़बूत हैं तो जीने का आनंद निराला और सुखद होता है। ज़िंदगी तनाव रहित होती है। जब कभी रिश्तों में तनाव पैदा होने की संभावना हो तो अपनी ओर से पहल कर के अपना दृष्टिकोण ठीक से प्रस्तुत करें और समस्या का समाधान कर लें यही आपके हित में है।

सफल गृहिणी इन बातों का ध्यान रखेः– जिम डारनैन लेखक के अनुसार, “औसत स्त्रियां यथास्थिति पर ज़िंदा रहती हैं। कुशल स्त्रियां अपनी क्षमताओं, योग्यताओं का विकास सतत करती रहती हैं और चुनौतियों का सामना डट कर करती हैं।”

विवाह संस्कारों व सीमाओं का सामंजस्य है। वैवाहिक जीवन इसी विश्वास और भावनाओं पर टिका रहता है, पति-पत्नी को चाहिए कि अपने संबंध को ज़िम्मेदारी और प्रतिबद्धता के साथ निभाएं।

सकारात्मक सोच न सिर्फ़ गृहिणी के जीवन को बेहतर बनाती है बल्कि सारे परिवार का माहौल खुशनुमा बनाती है।

जीवन साथी के विचारों को साथ लेकर चलें और अपनी स्वतन्त्रता को बरकरार रखें, परिवार के किसी भी सदस्य के सम्मान को चोट न पहुंचाएं स्वस्थ मानसिकता के साथ जीएं।

यदि बच्चे भी हैं तो आदर्श मां की भूमिका निभाएं, बच्चों को स्वावलंबी बनाएं और उन्हें अच्छे संस्कार की शिक्षा दें।

रिश्तों में ‘ब्रीदिंग स्पेस’ की ज़रूरत होती है इस का ख़्याल रखते हुए रिश्तों में उचित दूरी बनाए रखें।

सब संबंधियों को ज़रूरत के अनुसार समय दें ताकि वे गृहिणी के साथ भावनात्मक बंधन में बंधे रह सकें। यह रिश्तों के पौधे को सींचने जैसा काम है।

सहज बनी रहें और स्पष्टवादिता का सहारा समझदारी के साथ लें।

सभी परिवारों में झगड़े, मतभेद, वैचारिक मित्रता और अहम् के टकराव की समस्याएं होती है इन्हें आवश्यकता से अधिक महत्त्व न दें और नीति पूर्ण तरीक़े से विजयी बन कर उभरें। ‘यू कैन विन’ के मशहूर लेखक शिव खेड़ा के अनुसार “विजयी लोग आसानी से हार नहीं मानते हैं और जीत हासिल करने में लगे रहते हैं।”

विश्वास रखिए सफल और सुपर गृहिणी बनना नामुमकिन नहीं है, थोड़ा कठिन अवश्य है।

सफल गृहिणी को चाहिए कि परिवार में सभी को अपनी उपस्थिति महसूस कराए और प्रेम, विश्वास और आदर का वातावरण पैदा करें।

 

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