-सुरेन्द्र कुमार ‘अंशुल’

“हां जी! क्या बनाऊं अब?” साहिला ने रसोईघर से आ कर अपने पति रोनित से पूछा तो माथे पर अनगिनत त्यौरियां चढ़ा कर टी. वी. पर आ रहे अपने मनचाहे खेल ‘फुटबाल मैच’ पर दृष्टि जमाये वो अनमना-सा बोला “जो मर्ज़ी आए बना लो।”

“फिर भी…?” साहिला ने दोबारा जानना चाहा।

एकदम खीज से भर उठा रोनित। बोला, “कह दिया न एक बार, जो मर्ज़ी हो, बना लो। फिर बार-बार क्यों पूछती हो?

साहिला खामोशी से रसोईघर में लौट आई। उससे कुछ कहते नहीं बना। रसोईघर में आकर वह अनमनी-सी खड़ी हो गई। समझ में नहीं आया, क्या बनाए? सब्ज़ी की टोकरी में झांका। आलू, प्याज़, गोभी, गाजर, मटर हर रोज़ वाली सब्ज़ियां थी। आलू-मटर कल शाम बनाए थे। गोभी सुबह। गाजर-मटर इन्हें पसंद नहीं थे, दाल शाम को बच्चे नहीं खाते, हर रोज़ पनीर खाना उसे पसंद नहीं, फिर क्या करे? हर रोज़ एक ही तरह की सब्ज़ी खाना…? पूछो तो कहेंगे “जो मर्ज़ी हो बना लो।”

इस तरह की समस्या साहिला को ही नहीं, हर गृहिणी को होती है। ऐसी कौन-सी सब्ज़ी है जो घर-परिवार के सभी सदस्य खुशी-खुशी खा सकें। स्वाद भी बना रहे और बनाने की समस्या भी न हो।

पूर्णिमा के घर जाने पर मालूम हुआ कि उसने हर रोज़ की इस किचकिच से छुटकारा पा रखा है। उसने अपनी रसोई में एक ‘मीनू’ (भोजन की सूची) टांग रखी थी जिसमें मौसम अनुसार सभी सब्ज़ियों के नाम लिखे हुए थे। सप्ताह भर सुबह-शाम कौन-कौन-सी सब्ज़ियां बनानी हैं? वो लिखी हुई थी। पहले सप्ताह जो सब्ज़ियां ‘तरी’ वाली (रसदार) बनाती थी, दूसरे सप्ताह उन्हीं सब्ज़ियों को ‘सूखी’ सब्ज़ी में बदल देती थी, जिससे खाने वाले ‘नाक-भौं’ न सिकोड़ कर मज़े ले लेकर खाएं। मौसमी सब्ज़ियों के साथ कुछ अन्य चीज़ें भी खाने में बनाई जा सकती हैं जिन्हें हम प्रायः आलस के कारण बनाने से बचना चाहते हैं।

“मीनू” बनाते समय राजमा, कढ़ी, छोले (चने), बड़ियां, मंगोड़ी, विभिन्न प्रकार की दालें, अरहर की दाल, मसूर की दाल, उड़द की दाल, चने की दाल, राजमा-उड़द मिश्रण, पालक-पनीर, मंगोची (मूंग की दाल पीस कर बनाई गई पकौड़ियां) आदि को भी शामिल करने से न चूकें।

अगर आप के पास समय कम है तो झटपट चावल (पुलाव) बना डालिए। मटर के चावल, गोभी के चावल, आलू-चावल, इसके अलावा चने की दाल या उड़द की दाल डाल कर चावल बना सकती हैं।

भोजन परोसते समय दही और सलाद का भी ध्यान रखा जाए तो ‘सोने पर सुहागा’ होता है। दही का रायता बन सकता है रायते में घीया कस, गाजर कस, बेसन की पकौड़ियां यां बूंदी का इस्तेमाल किया जा सकता है। बथुआ, प्याज़, टमाटर के बारीक टुकड़े डाल कर भी रायता ज़ायकेदार बना सकती हैं। धनिये की चटनी और धनिये-पुदीने की चटनी बना कर खाने के साथ दें। खाने में पापड़ भी हो तो न खाने वाला भी खाने के लिए ललचा उठेगा। सलाद में प्याज़, टमाटर, मूली, गाजर, खीरा, हरी मिर्च की कतरन और अदरक का इस्तेमाल करें।

इस प्रकार का पूर्व बनाया हुआ मीनू आपको इस समस्या से अवश्य ही ‘निजात’ दिला देगा कि “हां जी, क्या बनाऊं?” साथ ही खाने के मामले में आप की समझदारी घर-परिवार के सभी सदस्यों को खुश रख सकेगी।

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