-सतबीर

उदास कौन नहीं होता? हर एक व्यक्ति इस क्षण से गुज़रता है। जब कभी वातावरण ही उदास व चुपचाप हो तो वो भी उदास हो जाता है। कई बार ज़िंदगी में ही कुछ क्षण ऐसे आते हैंं कि कभी किसी ने कुछ कह दिया या आसपास कुछ बुरा घटित होते देख लिया या फिर इच्छाओं की पूर्ति न होती देख व्यक्ति बहुत उदास हो जाता है। अपने ख़्वाब, अपनी तमन्नाएं ही तो कुछ करने के लिए उकसाती हैं परन्तु उदास व्यक्ति इन्हें पाने के लिए क्या कर सकता है? शायद कुछ नहीं। उदास व्यक्ति से कोई दूसरा एक दिन, दो दिन उदासी का कारण पूूछेगा, आपकी उदासी में आपका साथ देते हुए हंसने-हंसाने का यत्न करेगा परन्तु फिर अपनी राह चल देगा या फिर रोंदू इत्यादि कोई उपाधि दे देगा। कहा भी जाता है – ये दुनिया दर्द देती है, दर्द कम नहीं करती।

लेकिन उदास मन लिए कब तक बैठे रहा जा सकता है। दुनिया में आए हैं तो उसके साथ चलना भी पड़ेगा। दुनिया का तो ये दस्तूर है कि अगर वो खुश है तो फिर आपको भी उसके साथ खुुश ही होना पड़ेगा, भले ही दिल में लाखों ग़म के तूूफ़ान उमड़ रहे हों। सामान्य रहने के लिए, उदासी को दूर भगाने के लिए कुछ तो करना ही पड़ेगा।

अगर आप बहुत उदास हैं और यदि रोने को मन कर रहा है तो रो लें। इससे आपका मन हलका हो जाएगा। और यदि इस स्थिति में आपके पास कोई आपका हमदर्द, मित्र बैठा है तो उससे अपने दिल की बातें कह सकती हैं परन्तु दिल का हाल हर किसी के आगे न खोल कर किसी व्यक्ति विशेष के आगे ही खोलें क्योंकि हर एक के आगे उदासी के कारण का व्याख्यान करेंगे तो हो सकता है कि वो सरला की तरह ही हो और अपनी ही सहेली का दिल तोड़ दे। बात यूं हुई कि एक दिन सरला अपनी सहेली स्नेहा के घर गई। घर में स्नेहा अकेेली थी और बहुत उदास थी। सरला ने उसकी उदासी का कारण पूछा तो वो टाल गई। उसके बार-बार पूछने पर स्नेहा ने बताया कि उसकी सास उससे खुश नहीं है। हर बार किसी न किसी बात पर उससे नाराज़ हो जाती है। वो उसे प्यार से बहुत बार मनाती है परन्तु फिर भी एडजस्टमेंट उचित ढंग से नहीं हो पा रही। अब क्या था सरला ने उसकी इस बात को पूरी कॉलोनी में मिर्च मसाला लगाकर हर एक को सुनाया। बातों को तो चलने की आदत होती है, सो वो चलते-चलते स्नेहा के पति तक पहुंच गई और स्नेहा का पति उससे नाराज़ हो गया। अब इसमें स्नेहा का क्या दोष। उसने तो भावावेश में आकर सरला को दिल की बात बता दी पर सरला ने उसकी गृहस्थी को ही हिला दिया। अब ऐसे लोगों से तो बचना ही चाहिए और इनके आगे दिल का हाल न ही खोलें तो ही अच्छा। किसी विश्वसनीय को ही अंतरंग बातें बताएं क्योंकि ‘दिल का हाल सुने दिलवाला।’

अगर उदासी के समय आपके पास कोई अच्छा मित्र नहीं है तो आपको उदासी में अच्छी पुस्तकों को अपना मित्र बनाना चाहिए। जिन पुस्तकों को पढ़ने के लिए आपके पास समय नहीं है या फिर आप पढ़ना भूल गए हैं तो उन्हें निकालिए और पढ़ डालिए। सच मानिए पढ़ कर मन व दिमाग़ हलका हो जाएगा।

आप अपनी परेशानी के कारण को ढूंढें और एकांत में उन पर विचार कर उनका समाधान ढूंढने का प्रयत्न करें। कुछ परेशानियां ऐसी होती है जो समय पाकर अपने आप ठीक हो जाती हैं और कुछ को समाधान ढूंढ कर दूर किया जा सकता है।

अब अनिता को ही ले लीजिए वो पहले एक हाउस वाइफ़ थी परन्तु अब दो बच्चों की मां व एक ऑफ़िस में कार्यरत है। उसने नौकरी करनी अभी-अभी ही शुरू की है। घर व ऑफ़िस संभालते-संभालते उसका पति नज़रअंदाज़ हो रहा था जिस कारण उन दोनों के बीच काफ़ी तनाव पैदा हो गया था। इसलिए वो उदास परेशान रहने लगी। फिर उसने एक दिन एकांत में इस बारे में काफ़ी सोचा और हर एक काम के लिए समय निश्चित् किया और कोशिश ये की कि हर काम समय पर ख़त्म हो जाए और हुआ भी ठीक वैसे ही। अब वो एक परफ़ेक्ट वुुमन की भांति घर व ऑफ़िस में तालमेल बिठा पा रही है। अब उसके पति को तो उससे कोई शिकायत नहीं और वो भी खुशी-खुशी घर के कामों में उसे सहयोग देता है। देखा थोड़ी-सी समझदारी से बन गई न बात।

नीता और नीरू दो बहने थीं। नीता बड़ी थी और देखने में साधारण थी जब कि नीरू काफ़ी सुन्दर थी। नीता की शादी के लिए रिश्ते की बात चल रही थी पर जो भी लड़का उसे देखने आता वो नीरू को ही पसंद करता इससे नीता बहुत उदास रहने लगी। वो हर समय अकेले रहती। किसी से कोई बात न करती। कई बार तो आत्महत्या तक का सोच लेती। ऐसे समय में उसकी मां और बहन ने उसे हौसला दिया और कहा कि बाहरी सुंदरता अधिक मायने नहीं रखती। बल्कि उसे अपने अन्दर की प्रतिभा को बाहर निकालना चाहिए। अपने मित्रों के बीच में रहना चाहिए। परिवार में बैठकर बातचीत करनी चाहिए। इससे उदासी के पल खुुशी में बदलते देर नहीं लगती। जबकि उदासी के समय जल्दबाज़ी में या फिर ग़ुुस्से में उठाया गया हर क़दम अधिकतर ग़लत ही साबित होता है। वो कहते है न ‘एक ग़लत क़दम उठा था राहे शौक़ में, मंज़िल तमाम उम्र हमें ढूंढती रही।’

नीता समझदार थी उसने उनका कहना माना। घर के कार्यों में तो वो पहले से ही दक्ष थी। उसने घर पर ही कुकिंग की हॉबी क्लासिज़ शुरू कर दी, जिससे उसका आत्मविश्वास व व्यक्तित्व भी निखर गया। अब वे सुघड़ गृहिणी व एक प्यारी सी बेटी की मां है।

उदासी को दूर भगाने का सबसे अच्छा ढंग है डायरी लिखना। अगर आप डायरी लिखती हैं तो उसमें आपने कुछ अच्छे लम्हे भी संजोकर रखे होंगे। उदासी के समय डायरी उठाइए और उन सुहाने लम्हों को पढ़ डालें। देखना आपके होंठों पर बरबस ही मुस्कान खेल जाएगी और उदासी छूमंतर हो जाएगी। अगर डायरी में उदास लम्हों को लिखेंगी तो आपका मन हलका हो जाएगा और आपको विश्वसनीय साथी की तलाश भी नहीं रहेगी।

तो फिर इस तेज़ चलती ही नहीं बल्कि दौड़ती हुई ज़िन्दगी में उदास होकर पीछे क्यों रहें। चलिए उठिए और खुशी-खुशी ज़माने के साथ क़दम मिलाकर आगे बढ़िए। मंज़िल आपका इंतज़ार कर रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*