किसी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व प्राय: उसके कपड़ों अथवा पहरावे से पहचाना जा सकता है। आधुनिक समय के फ़ैशन में रंगों का क्या महत्त्व होता है? इसका ध्यान हमें हमेशा रखना चाहिए, क्योंकि रंग भी हमारे व्यक्तित्व को व्यक्त करने का एक साधन बन जाते हैं। फ़ैशन की इस अंधी दौड़ में महिलाएं अकसर अपनी पोशाक का चुनाव करते समय डिज़ाइन और रंग पर विशेष ध्यान देती हैं। वैसे तो प्रत्येक की अपनी-अपनी पसंद होती है। किसी को कोई रंग पसंद होता है और किसी को कोई। सबसे पहले हमें अपने व्यक्तित्व का ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि हमने रंगों का चुनाव भी इस प्रकार करना है कि यह हमारे व्यक्तित्व में चार चांद लगा दें। हमें पोशाकों के डिज़ाइन की अपेक्षा रंगों पर अधिक ध्यान देना चाहिए। यदि किसी महिला का रंग सांवला है तो उसे अधिक गहरे रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए, क्योंकि इस प्रकार के रंग वाली पोशाक उसके व्यक्तित्व को निखारने की बजाए उसे और भी कुरूप बना सकती है। इसलिये सांवले रंग वाली महिलाओं को हल्के रंग का चुनाव करना चाहिए। पोशाकों का रंग आपस में मिलना तो चाहिए ही, लेकिन अपने व्यक्तित्व को भी भाना चाहिये।

रंगों से हमारा रिश्ता बहुत ही गहरा होता है। जिस प्रकार साहित्य में नौ रसों का महत्त्व होता है, उसी प्रकार रंगों का हमारे व्यक्तित्व पर भी असर पड़ता है। अगर हमें रंगों का उचित चयन करने का ज्ञान ही न हो तो इसका हमारे व्यक्तित्व पर बुुुुरा ही असर पड़ेगा। अगर हमारे व्यक्तित्व तथा रंगों के चुनाव में सामंजस्य नहीं होगा तो इच्छित ताज़गी, स्फूर्ति हमें कभी भी प्राप्त न होगी। वैसे तो प्रत्येक का अपना-अपना पसंदीदा रंग होता ही है, परंतु महिलाएं शोख़ रंगों की पोशाकें पहनना ही पसंद करती हैं, लेकिन उन्हें इन रंगों के उन पर पड़ रहे प्रभाव या दुष्प्रभाव के बारे में पता ही नहीं चलता है। इसी प्रकार की पोशाकें उनके दैनिक जीवन का हिस्सा बनकर रह जाती हैंं। परिणाम स्वरूप उन्हें न तो शारीरिक और न ही मानसिक सुकून प्राप्त होता है।

रंगों का चयन करते समय मौसम का ध्यान भी अवश्य रखना चाहिए, यदि हमारी पोशाकों के रंग मौसम अनुसार नहीं होंगे तो इनका बुरा प्रभाव हमारे ही व्यक्तित्व पर पड़ेगा। यदि गर्मियों के मौसम में हमने गहरे तथा काले रंग के कपड़े पहने हैं तो हमें थकान व घबराहट महसूस होगी। इसलिये यहां हम पसंदीदा रंगों का ज़िक्र करेंगे और उनका व्यक्तित्व पर क्या प्रभाव पड़ता है के बारे में एक नज़र डालेंगे।

लाल रंग को ही लीजिए, जिन महिलाओं की पसंद इस रंग में होती है, उनके व्यक्तित्व के बारे में यह धारणा बन जाती है कि उनकी इच्छा शक्ति बहुत शक्तिशाली है। उनको उनकी इच्छा शक्ति से विचलित नहीं किया जा सकता है। वे अपनी मनोकामना पूरी करने में सक्षम होतीं हैं। जिस काम को वे करना चाहती हैं, पूरा कर ही लेती हैं। इस प्रकार की महिलाओं को क्रोध बहुत ही आता है। ज़रा-ज़रा सी बात पर बिगड़ जाती हैं। इस रंग को पसंद करने वाली महिलाओं में कामुक प्रवृत्ति प्रबल होती है। संक्षेप में लाल रंग को गुस्सैल रंग कहा जाता है।

काला रंग भी महिलाएं बहुत पसंद करती हैं। काले रंग को निरा़शा का प्रतीक माना गया है। जो महिलाएं इस रंग को अपनी पोशाकों में अपनाती हैं, उनमें आत्मविश्वास  की कमी पाई जाती है। इसलिए यह रंग एकाकीपन और समभाव को बढ़ाता है।

काले रंग के विपरीत स्वभाव सफ़ेेद रंग का होता है। यह रंग आशा का सूचक माना गया है। सफ़ेेद रंग को अपनाने वालों में पूर्ण आत्म विश्वास होता है। इस रंग को शीतल और स्थिर व्यक्तित्व का परिचायक माना जाता है। इस रंग को पसंद करने वाली महिलाएं आदर्शवादी होती हैं। वे प्राय: लड़ाई-झगड़ों से दूर रहना ही पसंद करती हैं। इसलिये शान्त स्वभाव की महिलाएं इस रंग को अपनी पोशाक में अपनाती हैं।

बैंगनी रंग को रहस्यमी रंग माना गया है। इस रंग को पसंद करने वाली महिलाओं के व्यक्तित्व के बारे में ठीक ढंग से कुछ भी कहना कठिन होता है। इसी प्रकार भूरे रंग को दु:ख का प्रतीक माना गया है। इस रंग को पसंद करने वाली महिलाएं हमेशा दु:खी रहती हैं। वे अंदर से घुटी रहती हैं।

गुलाबी रंग आंखों को तो ताज़गी देता ही है, लेकिन जो महिलाएं अपने पहरावे में इस रंग को शामिल करती हैं, उनका व्यक्तित्व प्राय: सुशील, विनम्र और सरल होता है। वास्तव में यह रंग महिलाओं के लिये आत्म-सम्मान का सूचक बन जाता है।

हरा रंग तरक्क़ी का सूचक माना गया है। इस रंग को पसंद करने वाली महिलाएं अपने जीवन में हमेशा आगे बढ़ने की लालसा अपने मन में रखती हैं। अपने जीवन में आने वाली विकट से विकट समस्याओं को देखकर विचलित नहीं होती हैं, बल्कि उन सम्सयाओं का धैर्य से तथा सोच समझकर समाधान निकालने का भरसक प्रयत्न करतीं हैं। जिन महिलाओं को हल्का हरा रंग भाता है, वे महिलाएं जीवन के हर क्षेत्र में अपने साथियों की मदद द्वारा अपनी मंज़िल प्राप्त करती हैं। लेकिन उनके व्यक्तित्व में यह बात भी शामिल हो जाती है कि वह भावुक प्रवृत्ति वाली बन जाती हैं। वह शीघ्र से अतिशीघ्र भावना में बह जाती हैं। लेकिन उनका मानसिक स्तर बहुत ही ऊंचा होता है। उनका दिल साफ़ तथा नम्र स्वभाव होता है। इसी कारण से वह लोकप्रिय हो जाती हैं।

अलग सा नारंगी रंग बुद्धिमान महिलाओं का पसंदीदा होता है। लेखक, कवि तथा कल्पनाशील विचार रखने वालों की यह पसंद होता है। इस प्रकार के व्यक्तित्व वाले लोग अपनी मौजूदा स्थिति को उच्च स्तर तक ले जाने के लिए भरसक प्रयास करते हैं।

गहरा नीला रंग पसंद करने वाली महिलाएं अपने-आप में ही मग्न व लीन रहती हैं। वे एकांत में रहना पसंद करती हैं। दुनिया के बनावटी व्यवहार तथा झूठे आडम्बरों से नफ़रत करती हैं। नीला रंग आंतरिक पक्षों पर अधिक ध्यान देता है।

पीला रंग प्राय: हंसमुख तथा मिलनसार महिलाओं का होता है। इस प्रकार की महिलाएं शीघ्र ही दूसरों के साथ मैत्री कर लेती हैं। उनका व्यक्तित्व आशावादी होता है तथा वह किसी भी प्रकार की विकट परिस्थितियों से घबराती नहीं हैं।

आख़िर में हम कह सकते हैं कि रंगों की सहायता से व्यक्तित्व का अध्ययन आसानी से किया जा सकता है। रंग ही व्यक्ति के चरित्र पर रोशनी डालने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। इनके द्वारा ही व्यक्ति की इच्छाओं, उसकी मनोवृत्ति इत्यादि को समझने में सहायता मिलती है। रंगों का चुनाव मौसम को मद्देनज़र रख कर किया जाना चाहिए। आजकल तो रंगों को चिकित्सा के क्षेत्र में भी कलर थेरेपी के रूप में काम में लाया जा रहा है। कुछ रंग ग़ुस्से को व्यक्त करते हैं, कुछ अच्छाई, सादगी को, कुछ दु:ख को, कुछ निराशावादी प्रवृत्तियों को। प्रत्येक रंग का अपना-अपना महत्त्व होता है और यही व्यक्तित्व को पहचान तथा मान्यता दिलाता है। रंगों के उचित प्रयोग से हम मानसिक व शारीरिक सुख दोनों ही प्राप्त कर सकते हैं। रंगों के गुणों को पहचान कर उनको अपनाकर देखिए कि कैसे बदलाव आता है आपके व्यक्तित्व में।

(मीडिया नेटवर्क)

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