-मनप्रीत कौर भाटिया

 

स्वास्थ्य कुछ दिनों से ज़्यादा ही ख़राब रहने लगा था। आज उसने डॉक्टर से टैस्ट करवाया। कुछ दिनों बाद रिपोर्ट आई तो वह दंग रह गया। उसे वह नामुराद बीमारी हो गई थी, जिसका कोई इलाज ही नहीं था। ‘एड्स….एड्स….’ वह बार-बार दुहरा रहा था और रो रहा था।

उसे अचानक ही वह रात याद आ गई जब उस लड़की ने बिना विरोध के आत्म-समर्पण कर दिया था और उसकी रात … मगर बाद में वह बेहद हैरान हुआ जब वह लड़की हंसे ही जा रही थी। बस हंसे ही जा रही थी।

पहले तो उसके साथ कभी ऐसा नहीं हुआ था। उसने जब भी किसी मासूम लड़की के साथ ज़बरदस्ती की वह खूब रोती और उसे लाखों बद्दुआएं देती। मगर यह…। आख़िर उसने पूछ ही लिया था। “तुम शीघ्र ही समझ जाओगे।” उसका जवाब था और वह हंसती हुई उसकी आंखों से दूर चली गई। और आज….आज उसे अच्छी तरह से समझ आ गई थी। कई मासूमों की बद्दुआएं उसे याद आ रही थी। अपनी रिपोर्ट पर नज़र पड़ते ही वह फिर से चिल्ला-चिल्ला कर रो पड़ा।

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