-माधवी रंजना

हंसना सेहत के लिए ज़रूरी है। यह एक आसानी से किया जाने वाला व्यायाम भी है। एक कहावत बहुत पुरानी है- ठहाका मार कर हंसिए और दीर्घजीवी बनिए। यानी ठहाका मार कर हंसने वालों की आयु लम्बी होती है। यह एक दूसरा पक्ष है कि हंसते और मुस्कुराते चेहरे समाज में पसंद किए जाते हैं। हंसने से एक सकारात्मक व्यक्तित्व का निर्माण होता है। चेहरे पर हंसी लिए व्यक्ति जहां जाते हैं वहां का वातावरण प्रसन्नचित और हल्का-फुलका बनाते हैं। ढेर सारे व्यायामों के मध्य एक अवधारणा हंसी के व्यायाम ‘लाफ़िंग एक्सरसाइज़’ की भी है। लाफ़िंग एक्सरसाइज़ करने का आदर्श समय सुबह का है। हंसने का व्यायाम ख़ाली पेट करना चाहिए। इसके तीन चरण हैं। पहले चरण में सिर्फ़ चेहरे पर मुस्कान लाना चाहिए तथा मुंह बंद होना चाहिए तथा दांत नहीं दिखाई देना चाहिए। यह प्रक्रिया खुले मैदान में या खुली छत पर खड़े होकर अपनानी चाहिए।

दूसरे चरण में पेट पर दोनों हाथ रखकर पेट की हवा मुंह से बाहर निकालना चाहिए। इस प्रक्रिया में कोई आवाज़ नहीं आनी चाहिए।

तीसरे चरण में पेट से पूरी ताक़त से हंसी निकालनी चाहिए। मुंह जितना खोल सकें खोलें तथा जितनी तेज़ आवाज़ निकाल सकें निकालें। इस प्रक्रिया को बार-बार दोहराएं। इस तरह के हंसने का व्यायाम पेट की कई तरह की बीमारियों में लाभकारी है। साथ ही ह्रदय रोग में भी लाभकारी है।

हंसना कई तरह की औषधियों का विकल्प है। आजकल भारत से बाहर विश्व के अन्य कई देशों में लाफ़िंग क्लब बन रहे हैं जहां मिलकर लोग हंसते हैं। हंसने को इंटरनेशनल जौगिंग भी कहा जाता है। हंसने से पूरे शरीर का व्यायाम हो जाता है। हंसना आर्थिक दृष्टि से भी उपयोगी है। क्योंकि हंसने में कुछ ही मांसपेशियां काम करती हैं, जबकि गंभीर बने रहने या गुस्सा करने की स्थिति में 20 से 29 मांसपेशियां काम करती हैं। ऐसे लोग जो अपना व्यक्तित्व ऐसा बना चुके हैं जिन्हें सहज रूप से हंसना नहीं आता उन्हें बनावटी हंसी या मेकेनिकल हंसी भी हंसना चाहिए। नार्मन कालिस के अनुसार हंसना रोग निदान का महत्वपूर्ण निदान है। बकौल शायर- खुल कर हंसना किसको नहीं आता पर लोग तरसते हैं एक बहाने को ।

वास्तव में हमारा शरीर अद्भुत चमत्कारी मशीन है। इनमें कई ऐसी स्वत:संचालित क्रियाएं हैं जो रोग निदान करने में सक्षम हैं। हंसना उनमें से एक प्रमुख क्रिया है। यह बात कोई कहे कि उसे हंसना नहीं आता तो यह ग़लत होगा। भला हंसना किसे नहीं आता, परन्तु सब किसी बहाने की तलाश में रहते हैं। तो आप बिना किसी बहाने के नियमित हंसने की आदत डालिए। एक बड़े मोटिवेटर का कहना है कि मनुष्य को किसी विपत्ति का सामना करना हो तो हंसने-मुस्कुराने से बड़ा कोई अस्त्र नहीं हैं।

 

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