-रीना चेची ‘बेचैन’ क्या आपको भी कुछ-कुछ ऐसा लगता है कि आपको रोका जाता है, टोका जाता है। क्यों? क्योंकि आप लड़की हो। सारे बंधन, सारे क़ायदे-कानून और सारी पाबंदियां हमारे लिये ही क्यों? हम यानी लड़कियां अपने मन की क्यों नहीं कर सकती? हमसे कहा जाता है ऐसा करो, ऐसा मत करो, वहाँ जाओ, वहाँ नहीं जाओ। हम वह ...
Read More »महिला समस्याएं
प्यार और धर्म के क्षेत्र में ठगी जाती है नारी
-गोपाल शर्मा फिरोज़पुरी प्रकृति ने सृष्टि में नारी को कोमलांगी, सुन्दर, एवं सुशील होने के साथ-साथ संवेदनशील विनम्र और भावुक भी बनाया है। वह चंचल, मधुर और प्रिय भाषी है। नारी पुरुष से शारीरिक और मानसिक तौर पर कहीं भी निर्बल नहीं बौद्धिक स्तर पर वह मर्द को पछाड़ने की क्षमता रखती है। परन्तु अपने चंचल और भावुक स्वभाव ...
Read More »नारी दिवस महज़ एक औपचारिता
-डॉ. अंजना प्रतिवर्ष 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर कुछ विचार संगोष्ठियां होती हैं, महिला उत्थान की बड़ी-बड़ी बातें होती हैं और औपचारिकताओं की खानापूर्ति होती है और महिलाएं वहीं की वहीं अपनी परिस्थितियों को झेलती हुई, शोषण की चक्की में पिसती हुई रह जाती हैं। यह दिन हमारे समक्ष कई प्रश्न छोड़ जाता है जैसे क्या ...
Read More »बच्चियों से दुष्कर्म दोषी कौन?
-कनु भारतीय “सात वर्षीय बालिका से नृशंस बलात्कार।” “पांच वर्ष की बच्ची के साथ मुंह काला करने के बाद बलात्कारी ने उसके फ़्रॉक से गला घोंटकर हत्या कर दी।” “बाप द्वारा बच्ची से बलात्कार।” इस प्रकार की घटनाओं से पत्र या पत्रिकाएं भरते चले आ रहे हैं। बच्चियों के प्रति नृशंस बलात्कारों में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। बच्चियों के यौनशोषण ...
Read More »आज भी असहाय है नारी एक कटु सत्य
-बलवीर बाली भारतीय नारी की सदा यह विशेषता रही है कि भारतीय पुरुष समाज तथा नारी समाज में नारी अत्यधिक धार्मिक प्रवृत्ति की मानी गई है। यद्यपि धार्मिक भावना दोनों में प्रबल रूप से विद्यमान् है। कहते हैं न जैसे हर सफल पुरुष के पीछे स्त्री का हाथ होता है ठीक उसी प्रकार यद्यपि सभी धार्मिक कार्य पुरुष समाज द्वारा ...
Read More »आधुनिकता और संस्कृति के बीच फँसी नारी
-श्रीमती मृदुला गुप्ता “मैं आज जो भी हूँ और भविष्य में बनने की आशा करता हूँ उसके लिए मैं अपनी देवी समान माता का ऋणी हूँ”-अब्राहिम लिंकन। “हर सफल व्यक्ति के पीछे किसी न किसी औरत का हाथ है।” उपरोक्त शब्दों से नारी के महत्त्व का पता चलता है अपने जीवन काल में नारी विभिन्न रूपों में सामने आती है। ...
Read More »हमारी संस्कृति और लड़कियों से छेड़छाड़
कल जब मैं कॉलेज के फंक्शन में गई तो वहां पर बड़ा ध्यान रखा जा रहा था कि लड़के-लड़कियों को अलग-अलग बैठाया जाए। तभी एक सज्जन ने बात उठाई कि आख़िर इनको अलग-अलग क्यों बैठाया जाए। अलग-अलग बैठाने की बात तो छोड़िए हममें से बहुत से लोग तो लड़के-लड़कियों को अलग-अलग स्कूलों, कॉलेजों में पढ़ाने के पक्ष में हैं। बसों ...
Read More »अधिकारों के प्रति सजगता से ही थमेगा नारी का अग्नि परीक्षा का दौर
-मुनीष भाटिया स्वतंत्रता के अड़सठ वर्ष बाद जब देश की महिलाओं की दशा पर दृष्टि डाली जाती है तो सहसा सामने वह रोगी आ खड़ा होता है जिसे शुरू में तो कोई एकाध रोग ही था किन्तु परिचारकों के प्रसाद एवं समीचीन औषधि के अभाव में रोग उत्तरोत्तर बढ़ता ही गया। जिस राष्ट्र में कभी नारी की साड़ी उतारने का ...
Read More »औरत पर अत्याचारों का सिलसिला कब ख़त्म होगा
-रीना चेची ‘बेचैन’ हर रात के बाद सवेरा होता है। ग़म के बाद खुशियां ज़रूर आती हैं। अंधेरे में गुम ज़िन्दगी का सामना एक दिन उजाले से होकर रहता है। मगर आज के माहौल को देखते हुए यह कुछ बेमतलब-सा लगता है। रात के बाद सुबह होती है तो सामना रक्तरंजित-ख़बरों से होता है – ख़ासकर महिलाओं के संबंध में। ...
Read More »विवाह के पश्चात् क्या उपनाम बदलना ज़रुरी है
विवाह के पश्चात् लड़की को हमेशा नया स्थान, घर, परिवेश, नए रिश्ते-नाते, नए लोग एवं नई संस्कृति के अनुरूप ढलना पड़ता है।
Read More »