महिला विमर्श

क़ामयाब गृहिणी के लिए कुछ महत्वपूर्ण सूत्र

वह कितनी सुन्दर है, इस का तौर तरीक़ा, आत्मविश्वास, सकारात्मक सोच, बैठने उठने का सलीक़ा आदि एक सफल गृहिणी के महत्वपूर्ण गुणों में शामिल है।

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बदलते दौर में नारी की स्थिति

स्त्री के इतने सफल होने के बाद, इतना आगे बढ़ जाने के बाद क्या स्त्री की स्थिति बदल गई है? इस प्रश्न का उत्तर ढूंढना शायद अभी भी हमारे लिए मुश्किल है।

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नारी का अस्तित्व

राजनीतिक क्षेत्र हो या पत्रकारिता हर क्षेत्र में उसने अपनी ख़ास जगह स्थापित कर ली है। देश की सीमाओं की रक्षा के लिए हाथ में बंदूक पकड़ ली है। कोई भी क्षेत्र हो लड़कियां, लड़कों से आगे हैं।

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घरेलू हिंसा और महिलाओं की स्थिति

नारी के बिना किसी समाज की परिकल्पना करना दुःस्वप्न मात्र है। उसे अपमानित, उपेक्षित व प्रताड़ित करना अपने पैरों पर स्वयं ही कुल्हाड़ी मारने जैसा यत्न है।

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गृहलक्ष्मियां हिंसा की शिकार कब तक होती रहेंगी

भारत में शादीशुदा महिलाओं के विरुद्ध हिंसा लगातार बढ़ती जा रही है। पिछले कुछ दशकों में ऐसी महिलाओं की संख्या में काफ़ी इज़ाफ़ा हुआ है, जो अपने पतियों और ससुराल वालों के ख़िलाफ़ खुलकर शिकायत कर रही हैं।

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गुम है लोक विरसा लड़कियों की किकली

गिद्धा और भंगड़े की तरह किकली भी पंजाब का प्रसिद्ध लोक नृत्य था। परन्तु आधुनिक समय में यह लोक नृत्य कहीं दिखाई नहीं देता। लड़कियां बड़े उत्साह के साथ शाम के समय इस लोक नृत्य का आनंद मानती थी।

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भारतीय महिला : कहां से कहां तक?

भारतीय नारी ने अब करवट तो बदली है। वह अपनी सदियों की गुलामी मिटा देना चाहती हैं। यह कसक और बेचैनी एक शुभ लक्षण हैं। आधुनिक नारी भी निर्माण की प्रक्रिया के बीच खड़ी है।

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