महिला विमर्श

स्वाधीन देश की स्वाधीन नारियां

मेरा लक्ष्य नारी शोषण के विविध आयाम प्रस्तुत करना नहीं है। उस पर तो यदि नाम सहित प्रमाणिक लेखन हो, तब भी अनेक पुस्तकें बन जाएंगी। यहां मेरा लक्ष्य बहुत सीमित है। मैं आज के परिदृश्य में शिक्षित महिलाओं की दशा प्रस्तुत करना चाहती हूं, जहां विसंगतियां अलग-अलग रूपों में व्याप्त हैं।

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महिलाओं की भी यशस्वी परम्परा रही है

यह सत्य है कि नारी की प्रतिभा, क्षमता, योग्यता, पुरुष की प्रतिभा, क्षमता, योग्यता से मिलकर अनन्तगुनी प्रभावशाली हो जाती है। इतिहास से अगर नारी की भूमिका हटा दी जाए तो उसका स्वरूप ही बदल जाता है।

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स्त्रियां व्रत क्यों रखतीं हैं?

कई बार तो किसी व्रत को महिलाएं अन्य को देखकर पीढ़ी-दर-पीढ़ी करती आ रही हैं। यह व्रत क्यों और किसके लिए किया जाता है, उन्हें यह भी नहीं मालूम होता। वैसे हमारे यहां व्रत के नियम भी लोचदार बनाने का नियम है। जैसे ज़्यादा प्यास लगने की स्थिति में घुटने के बल बैठकर पानी पिया जा सकता है।

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कन्या भ्रूण हत्या

मानव सभ्यता और संस्कृति में लड़कियां हज़ारों वर्ष आगे हैं। यही कारण है कि हम लड़की को देवी कहते हैं, लड़के को देवता नहीं कहते। परंतु अफ़सोस की बात तो यह है कि इतना सब जानते हुए भी कन्या भ्रूण हत्या क्यों?

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सानिया मिर्ज़ा पराइड ऑफ़ द नेशन

सानिया को लोकप्रिय बनाने में मीडिया का भरपूर हाथ रहा है। जहां उसके लिए मीडिया अच्छा साबित हुआ वहीं समय-समय पर कई विवादों को भी मीडिया ने खूब उछाला। सानिया मीडिया के साथ अपने रिश्ते के बारे में बात करते हुए कहती हैं कि मीडिया का उसके साथ लव-हेट रिलेशनशिप रहा है।

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ब्रह्मा की कृति नारी

नारी प्रकृति की अनुपम अद्वितीय रचना है और इसी प्रकृति द्वारा प्रदत्त अनेकों गुण इसमें विद्यमान हैं। कुछ गुण ऐसे हैं जो अधिकांश महिलाओं में पाए जाते हैं जैसे आंसू बहाना, बहुत डरपोक होना, ईर्ष्या करना, बहुत ज़्यादा बोलना, सौंदर्य प्रेमी होना।

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श्रद्धा-सौंदर्य एवं लक्ष्मी है नारी

भारतीय नारी सौंदर्य की अभिव्यक्ति का प्रमुख साधन माध्यम भी है। सत्यं, शिवं के साथ ईश्वर की तीसरी विशेषता सुन्दरम् है। ईश्वर को सुन्दरता बहुत प्रिय है और उस का अंश होने के कारण जीवात्मा भी प्रत्येक सुन्दर वस्तु को देख कर आकृष्ट होती है।

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नारी के अस्तित्त्व पर प्रश्न चिन्ह?

नारी प्रकृति है, प्रकृति परमेश्वर है- यदि भगवान् का कोई भी अस्तित्त्व है तो वह भगवती के कारण ही है भगवती-भगवान् से किसी रूप में भी कम नहीं दूसरे शब्दों में यदि यह कहा जाए कि मां का रुतबा भगवान् से भी बड़ा है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। नारी एक प्रबल ज्योति है- प्रकाश का पुंज है।

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साड़ीः राष्ट्रीय महिला पोशाक

साड़ी भारतीय नारियों का परम्परागत राष्ट्रीय परिधान है। यह हमारे संस्कारों से जुड़ी है। यह भव्यता और गरिमा देती है।भले अत्याधुनिक भारतीय महिलाएं अन्य परिधानों की ओर ललक दिखा रही हों, साड़ी का कोई विकल्प नहीं।

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योग्य बेटी के पांव की बेड़ियां न बनें

वो समाज में जितनी भी पहचान स्थापित कर ले फिर भी वो औरत है, बेटी है इसका उसको कर्ज़ चुकाना पड़ता है और न जाने कितनी प्रतिभाएं इस मानसिक प्रताड़ना के चलते, अपने सफ़र को अधूरा छोड़ देती हैं।

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