“सन् 2035 की एक सुबह मेरे सामने कुछ अख़बार रखे हुए हैं। रविवार का दिन है। मैं मैट्रीमोनियल कॉलम में नज़र डालता हूं।
Read More »पुरुष संसार
वक़्त के साथ बदली है मर्द मानसिकता भी
-मंजुला दिनेश आदिकाल से ही स्त्री-पुरुष संबंधों पर विभिन्न कोणों से विचार मंथन जारी है। यह एक ऐसी गुत्थी है जो समय परिवेश और परिस्थितियों के अनुरूप कभी उलझती और कभी सुलझती रही है। स्त्री को ऐसी अनबूझ पहेली के रूप में प्रस्तुत किया गया जिसे आम आदमी तो क्या देवता भी समझने में सक्षम नहीं। औरतों को शंका ...
Read More »शून्य महाशून्य या परिपक्वता
जब नारी परिपक्वता की ओर क़दम बढ़ाती है यह पुरुष जाति शून्य की ओर क़दम बढ़ाती है।जब नारी परिपक्वता की तरफ़ अग्रसर होती है तब यह पुरुष जाति महाशून्य की ओर
Read More »पतिगण ज़रा इधर भी गौर फरमाइए
जहां उसे घर की इज़्ज़त, घर की लक्ष्मी के नाम दिए वहीं उसे इन के साथ एक अन्य नाम से निवाज़ा गया - गृहस्वामिनी।
Read More »औरत पर अत्याचार आख़िर सच्चाई कितनी
-धर्मपाल साहिल भारतीय इतिहास के पृष्ठ महिलाओं की गौरवमयी कीर्ति से भरे पड़े हैं। शास्त्रानुसार जहां स्त्रियों की पूजा होती है, वहां देवता वास करते हैं। औरत को गृहलक्ष्मी, गृहशोभा, सुरोपमा आदि उपमाओं से सुशोभित किया गया है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में नारी ने पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिला कर साथ दिया तो कई बार उससे दो ...
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