समाज और समस्याएं

विजय दशमी के दिन

रावण का पुतला जलाते समय लाखों, करोड़ों लोगों का केवल एक ही मत यह होता है कि रावण को माता सीता के अपहरण की सज़ा युगों के बाद भी मिल रही है। किन्तु आज के सभ्य कहे जाने वाले समाज में तो एक-दो नहीं बल्कि लाखों रावण मौजूद हैं।

Read More »

सुन्दरता बिकती है, बोलो ख़रीदोगे

आज सुन्दरता के अर्थ ही बदल गये हैं। सुन्दरता अब अन्य बिकाऊ वस्तुओं की तरह बाज़ारी वस्तु बनकर रह गई है, सौंदर्य का व्यापारीकरण हो गया है। प्राकृतिक सुन्दरता वाली बातें अब बीते ज़माने के क़िस्से बनकर रह गए हैं।

Read More »

यात्रा पर जाने से पहले- कुछ ज़रूरी टिप्स

होटल में ठहरने से पहले उसकी शर्तों को ठीक तरह से समझ लें। भीड़-भाड़ के दिनों में पहले से ही होटल में आरक्षण कराकर चलें तो अच्छा होगा। अगर किसी हिल स्टेशन पर आपके विभाग की ओर से होटल या गेस्ट हाउस बनाया गया हो तो उसी में ठहरें।

Read More »

डेटिंग से डेज़ी़ी चेन तक

आधुनिकता की आंधी में पुराने महलों का ढहना लाज़मी है। लेकिन सवाल यह उठता है कि इस आंधी में स्थिरता और अडिगता के लिए जो रास्ते इख़्तियार किए जा रहे हैं क्या वह आने वाले तूफ़ानों का सामना कर सकेंगे।

Read More »

जब जाएं मरीज़ का हाल पूछने

यह ठीक है कि आपसे अपने परिचित का दुःख देखकर रुका नहीं जाता और आप उसका हाल जानने व उसके शीघ्र स्वस्थ होने की दुआ देने की ग़रज़ से उसे देखने अस्पताल चले जाते हैं। पर इसका यह मतलब कत्तई नहीं है कि आप उसे मानसिक कष्ट पहुंचाएं।

Read More »

नई पीढ़ी में भटकाव इंटरनेट अश्लीलता

ई-मेल और फी-मेल के इर्द-गिर्द बुना हुआ इंटरनेट का यह माया जाल बड़ी तेज़ी से हमारे युवाओं और बच्चों को अपने शिकंजे में जकड़ रहा है। इसलिए ज़रूरी है कि हम इस बात का पता लगाएं कि कहीं हमारे बच्चे तो इस राह पर नहीं चल पड़े।

Read More »

वर्जित सम्बन्धों की छटपटाहट क्यों?

-विजय रानी बंसल वर्जित सम्बन्ध यानी कि विवाहेत्तर सम्बन्ध! एक विवाहित का दूसरे विवाहित से चोरी छिपे लुका-छिपी का खेल। चाहे वह स्त्री हो या पुरुष, पर-पुरुष या पर-स्त्री से चोरी छिपे वह सम्बन्ध रखने को लालायित जिसे समाज में वर्जित माना जाता है। इसे मजबूरी कहें या स्टेटॅस सिम्बल या फिर मात्र संयोग। शताब्दियों पुराने वैवाहिक सम्बन्धों को आधुनिकता ...

Read More »

आपका व्यक्तित्व और आपके हस्ताक्षर

आपके हस्ताक्षर वस्तुतः आपकी चारित्रिक प्रवृत्तियों का एक लघुचित्र है। अधिकांश मामलों में जो लिखावट व्यक्त करती है वही हस्ताक्षर भी व्यक्त करते हैं,

Read More »

मज़दूरों का शोषण

अगर ग़रीब न होते तो ये दुनियां भूखी मरती। लोगों को कपड़े तक नसीब न होते। ये मज़दूर वो ही हैं जो कारखानों, खेतों आदि में काम करके अपना एवं अपने परिवार का पेट पालते हैं। आज मज़दूरों की दयनीय हालत किसी से छिपी नहीं है।

Read More »

ये जेल के बाहर के क़ैदी

यह है जालंधर सेंट्रल जेल। सुबह के दस बज रहे हैं। गाड़ियों के शोर के बीच यहां लगती है लोगों की भीड़ रोज़। कोई समारोह नहीं होता। भीड़ इसलिए कि रोज़ सैंकड़ों लोग आते हैं और जेल में मुलाक़ातियों की जगह है बहुत ही छोटी। ठेलम-ठेल।

Read More »