कहानियां

एक संकलन का प्रकाशन उर्फ़ चौथी क़सम

अगर यह मान भी लिया जाए कि तुम्हारा मंगेतर या दोस्त, जिसके बारे में सोचकर तुम अभी तक बेचैन हो, बच गया हो जान बचाने के लिए उसने अपने केश दाढ़ी साफ़ करवा लिए हों तो इतने सालों तक घर क्यों नहीं लौटा?

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एक्स-रे

पहले कौन-सा ‘लुच्चपुना’ नहीं होता था। घर के एक लड़के का विवाह होता था और बाक़ी सभी भाइयों की वह सांझी ‘बीवी’ बन जाती थी। सरेआम सभी को पता होता था। कौन-कौन सा गुनाह नहीं हुआ है पहले, और अब क्या विचित्र हो रहा है? अब सम्भवतः पहले से कुछ कम ही हुआ हो।

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भूख

क्या इस बात का पता नहीं था चला कि वह घर बेटी के लिए नर्क होगा और संधू सभी के बारे में यही सोचेगा कि और किसी के कंधे पर सिर ही नहीं, “सोचने और कहने का काम केवल उसी ने करना है।” -क्या आपको यह संकेत नहीं था मिला कि संधू का मुंह अभी और खुलना था और भूख ज़्यादा बढ़नी थी।

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ख़ाली प्लाट

शर्मा जी, शर्म करें कुछ। मैं आपकी बेटी जैसी हूं। इश्क कितना भी अंधा हो पर इतना पागल नहीं होता कि बाप की उम्र के आदमी के साथ किया जाए। अगर कोई करता भी हो तो मजबूरी हो सकती है, इश्क नहीं….।

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जब सिर पर मौत खड़ी हो

जगते ने तेजे के कन्धे पर धौल जमाई फिर अंधेरे में ही बोला, ‘हां, तो क्या कहा था उस लड़की ने जिसके साथ तेरा रिश्ता होते-होते बीच में ही रह गया था।’ ‘छोड़ो यार! जाने दो किसकी बात लेकर बैठ गए।’ तेजा इस विषय पर बात करने के मूड में नहीं था पर जगता कहां छोड़ने वाला था। झट से ...

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प्रेम का प्रतिशोध

मैंने तुमसे मिलने की बहुत कोशिशें की मगर कोई रास्ता नज़र नहीं आया। तुमने भी पुलिस में रपट लिखाकर बड़ी भूल की। मैंने पता लगा लिया है, उसकी मियाद कम से कम पांच वर्ष तक है। उससे पहले मैं तुमसे मिलूंगा, तो पुलिस द्वारा गिरफ़्तार कर लिया जाऊंगा।’

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चांदनी का प्रतिशोध

हर इंसान के जीवन में कुछ घटनाएं ऐसी घटती हैं जिन्हें लाख चाह कर भी हृदय से निकाला नहीं जा सकता फिर वो घटना जो किसी के बहुत अपने व्यक्ति की हो तो जिस्म का अंग-अंग कट कर गिरता सा लगता है वो इंसान ऊपर से नीचे तक खून से लथपथ होकर भी चिल्ला नहीं सकता, रो नहीं सकता। यादों ...

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डूबता मस्तूल

‘पापा, मैंने बहुत सोच-विचार के बाद निर्णय लिया है कि मैं यहां सब कुछ छोड़छाड़ कर अपने देश आ जाऊं अमला तो यहीं के रंग में रंगी हुई है। मैं अपने बच्चों के लिए लाखों डॉलर जमा कर चुका हूं। उनकी शिक्षा-दीक्षा के लिए वह धन-दौलत बहुत होगी

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धत तेरे की

-धर्मपाल साहिल आज वह ऑफ़िस में रीना का सामना कैसे कर पाएगा। इस बात को लेकर वह सुबह से ही परेशान था। रात भी वह ठीक ढंग से सो नहीं पाया था। आधी रात को एक बार आंख खुली तो बस फिर नींद आंखों के पास न फटकी। करवटें बदलते सूरज चढ़ आया था। रोज़ाना की भांति ‘मॉर्निंग वाक’ के ...

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आशीष- सुमन

मैं एक शादी पर गया और शगुन की रस्म अदा करने के बाद वहां भोजन हॉल में भोजन शुरू करने के लिए प्लेट उठाने लगा तो एक क्षीणकाय बालक ने नमस्कार करते हुए मेरे पांव छुए। मैंने उसे आशीर्वाद तो दिया परन्तु उसे पहचान न सका। सोचा, कोई परिचित होगा, कोई जान-पहचान वाला होगा। मेरी सोच की पकड़ में वह ...

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