कहानियां

इंतज़ार

'एक बार सुनाई नहीं देता। मेरी न मां है न बाप। तुम किसे मनाओगे? उस दानवी भाई को या फिर उस चुड़ैल जैसी भाभी को जिन्होंने पूरे घर को मेरे लिए एक जेल से भी बदतर बना दिया। पहले तो मार-मार कर मुझे अधमरा कर दिया और मेरा विश्वास न करके लोगों की बातों पर विश्वास करते रहे।'

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तुम बहुत अच्छे हो

– सुरेन्द्र कुमार ‘अंशुल’ ठंड अपने पूरे यौवन पर थी। अभी रात के आठ बजे थे, लेकिन ऐसा लगता था कि आधी रात हो गई है। मैं अम्बाला छावनी बस स्टैंड पर शहर आने के लिए लोकल बस की इंतज़ार कर रहा था। जहां मैं खड़ा था उससे कुछ ही दूरी पर दो-तीन ऑटो रिक्शा वाले एवं टैक्सी वाले खड़े ...

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अग्नि परीक्षा

घर मेहमानों से खचाखच भरा था। तिल रखने की भी जगह न थी। सभी के चेहरे पर एक अनोखी चमक व चित्त में उल्लास था। और हो भी क्यूं न? घर में पहली शादी जो थी- सुषमा और आलोक की लाड़ली बेटी कंचन की। ढोलक की थाप के बीच सुहाग गीतों से वातावरण गूंज रहा था। शहनाइयों की गूंज हवा ...

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तलाश का सफ़र

 -दलबीर चेतन चारों तरफ़ शोक-सा बना हुआ था कि श्रद्धामठ डेरे के स्वामी प्रकाश नंद नहीं रहे। ख़बर सुनते ही श्रद्धालु एक ख़ास तरह के मानसिक संताप में ग्रस्त हो गए। वह उनके साथ, उनकी शख़्सियत के साथ, उनके प्रवचनों के साथ श्रद्धा की पूर्णतः तक जुड़े हुए थे वे उनकी मृत्यु की ख़बर सुन कर स्तब्ध हो गए। इस ...

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गुड्डी कहां है

बचपन मेरी ज़िंदगी से तो निकल गया था, मगर बचपन दिल से नहीं निकला था- जिसकी वजह से दिनभर मां की टोका-टाकी झेलनी पड़ रही थी। खुल कर हंस भी लेती तो मां की टोक उसे सांप की तरह डसती थी- “गुड्डी, न जाने तेरा बचपना कब जाएगा, यह सब ससुराल में तो नहीं चलेगा।” कभी दिन में देर तक ...

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मफ़लर

-सुरेन्द्र कुमार ‘अंशुल’ ऑफ़िस जाने के लिए मैं तैयार हो चुका था। रूमाल लेने के लिए मैंने अलमारी खोली तो मेरी नज़रें अलमारी में कपड़ों के नीचे झांकते एक ‘पैकेट’ पर पड़ी। मैंने पैकेट बाहर निकाला और खोल कर देखा तो उसमें एक खूबसूरत मफ़लर था। मैंने धीरे से उस पर हाथ फिराया। प्यार की एक अद्भुत अनुभूति का मुझे ...

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मंझदार

“बाई जी! कुछ खाने को दे दो बाई।” पीछे से आये कोमल स्वर ने मुझे चौंका दिया! मैं बहुत देर से झील की नैसर्गिक सुन्दरता को निहार रही थी। उसकी आवाज़ ने मेरी एकाग्रता तोड़ दी, मैंने पीछे मुड़कर देखा तो वह मेरे पैरों में झुक गई। उसने फिर रटा-रटाया वाक्य दोहराया। “अरे! पैर तो छोड़।” मैं दो क़दम पीछे ...

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मरसिये की उम्र

मीरा के जाते समय उसने मीरा का हाथ छोटे बच्चे के सिर की तरह सहलाया। जिस मीरा के साथ उसने घर बसाने का सपना देखा था, उसी मीरा के लिए उसके बनवासी बोल उभरे, “अपनी कहानी लोरी से शुरू हो कर मरसिया पर ख़त्म हो गई है।” चलती लुओं में मीरा की खामोशी शीत बनी रही। उस के हाथों का ...

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दोस्ती के कमल फूल

  उस दिन अकेलापन निर्धनता की तरह हावी हो गया था। अजनबी चेहरों की भीड़ में अकेलेपन ने अभी आत्मघात नहीं किया था, जब मैंने अपनी ओर घूरती हुई आंखों को देखा। चाल ढाल से उसके फ़ौजी होने का अनुमान मैंने लगा लिया था। उसके नक़्श अवचेतन मन के किसी कोने में दिखाई दिए, इससे पूर्व कि व्यतीत के पानी ...

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ख़ुदगर्ज़

“सिस्टर जल्दी करो पेशेंट को ऑपरेशन थियेटर पहुंचाओ, फौरन ऑपरेशन करना पड़ेगा।” बदहवास से डॉक्टर रवि नर्स से कह रहे थे। उनके सहकर्मी देख रहे थे कि सदैव संयत रहने वाले डॉक्टर रवि इस पेशेंट के आने से काफ़ी परेशान थे। “विमल, देख यार इस पेशेंट का ऑपरेशन पूरे ध्यान से करना।” डॉक्टर रवि अपने मित्र व सहकर्मी विमल से ...

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