कहानियां

देवता

आधी रात को मुंशी अब्दुर्रहीम की नींद खुली तो उन्होंने अपने प्रिय शिष्य चन्द्रभान को पैर दबाते पाया। ‘‘चन्द्रभान, तू सोयेगा कब ? क्या सारी रात मेरे पैर ही दबाता रहेगा पगले ! रात बहुत हो गई है जा अपने घर और सो जा।’’ मीठी झिड़की देते हुए मुंशी जी ने कहा। चन्द्रभान को गुरूभक्‍ति का नशा था। प्रतिदिन रात्रि ...

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दावेदार

ज्‍वाला सिंह ने अपने घर और ज़मीन-जायदाद का बंटवारा अपने जीवन काल में कर देना उचित समझा। उसको जीवनपर्यन्त उन व्यक्‍तियों पर गुस्सा आता रहा जिन्होंने अपने ये फ़र्ज़ समझदारी के साथ नहीं निभाये थे और उनके आंखे मूंदते ही घर का सारा माहौल, सारा दस्तूर ही आंखें मूंद लेता था। घरों में बंटवारे से क्लेश, लड़ाई-झगड़े शुरू हो जाते ...

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