लघुकथा

मौनी महाराज

अपुन को सिद्ध योगी बनने का रे…. मतलब…. ? अपुन को योग, निरोग और भोग को साधने का रे….। मैं समझा नहीं मुन्ना भाई….। तेरे को समझाने की नईं रे कुछ करने का। क्या करने का भाई….? प्रचार। ये आचार तो कई दफ़ा सुना था म-ग-र…. प्रचार…. ?

Read More »

ख़र्च

मां की मौत की वजह से सारे घर में मातम छाया हुआ था। संस्कार की रस्म के तीन चार दिन बाद ही ख़र्चे के नाम पर दोनों भाइयों में बहस हो गई। मगर लोक लज्जा का उन्हें फिर भी ध्यान था।

Read More »

पात्र

मां! का तू बापू को छोड़ सकी थी? दारू की पूरी बोतल पेट में उतार कर आता तो तुझे मारता-पीटता था। सारी ज़िन्दगी उसी से बंधी रही थी। बोल मां? चुप क्यों है?

Read More »

राजा साहिब

बुढ़िया की खांसी रुकने का नाम नहीं ले रही थी। उसकी निगाहें दरवाज़े की दहलीज़ पर टिकी हुईं थी। परन्तु उसके घरवाले की वापसी का कहीं नामोनिशान तक नहीं था। उसका घरवाला काफ़ी बूढ़ा हो चुका था मगर उसके चेहरे पर झुर्रियों का निशान तक नहीं था। हाथ में लम्बा बांस का डण्डा, फटा हुआ कुर्ता, सटिट्यों वाला गर्म पट्टू ...

Read More »

चोरी की सज़ा

'किन्तु थानेदार साहब! आप तो कह रहे थे कि पांच जोड़ी पैंट-शर्ट चोरी हुई हैं और मैं दुकान संभाल कर आया हूं। पांच जोड़ी ही चोरी हुई है।' दुकानदार ने आश्चर्य भरे स्वर में पूछा, 'फिर मैं दस जोड़ी चोरी हुए क्यों लिखूं?'

Read More »

न्याय

भूमाफ़ियाओं द्वारा क़ब्ज़ाये गए भूमि के टुकड़े को वापिस पाने के लिए राम सिंह कानूनी लड़ाई लड़ रहा है। उसकी यह लड़ाई पिछले पन्द्रह साल से अनवरत जारी है। वह हर सप्ताह या पन्द्रह दिन बाद कचहरी आता है। सुबह से शाम तक न्यायालय की चौखट पर बैठा हुआ मुक़द्दमे की पुकार के इंतज़ार में ऊंघता है।

Read More »

हलाहल

अरे बेटी, एक अकेली मां की जब तक चली, तब तक तो चारों एक ही थे, जब चारों की चार घरों से सीखी, चार बहुएं आ गईं, तो अकेली मां के संस्कार क्या करते? सभी ने तो अपने-अपने मर्द को अपने-अपने पल्लू में बांध रखा है।

Read More »

विष कन्या

बस रुकते ही वह हवा के झोंके की तरह बस में चढ़कर मेरे साथ ख़ाली पड़ी सीट पर बैठ गई। उसके स्पर्शमात्र से मेरी रगों में बहते खून की गति तेज़ हो गई। तेज़ी से पीछे की ओर भागते पेेड़ों, पौधों, घरों, खेतों, खलिहानोंं से हटकर मेरी नज़रे उस अप्सरा पर मंडराने लगी थीं।

Read More »

चाइल्ड लेबर

‘पापा, ये चाइल्ड लेबर क्या होती है? आठ साल के अंकुर ने पापा से पूूछा।’ ‘बेटा, जब तुम्हारे जैसे छोटे-छोटे कोमल बच्चे कहीं काम करते हैं तो उन्हीं को ‘चाइल्ड लेबर’ कहा जाता है।’

Read More »

कच्ची फ़सल

इस बार अपने हिस्से वाल ज़मीन पर अच्छी फ़सल होने के आसार नहीं हैं। पिता जी तो कुछ और ही राग आलाप रहे हैं..... समय से पूर्व फसल काटना धरती मां का अपमान है। धरती मां जैसा भी दे खुशी से स्वीकार करना चाहिए। अब तुम ही बातओ आजकल के ज़माने में ऐसी दक़ियानूसी बातें…..।"

Read More »