व्यंग्य

हम भी खड़े हुए

न तो मेरे पास काला धन था, न किसी मंत्री/ मुख्यमंत्री का बेटा/ दामाद था मैं, न तो मुझे झूठ बोलने की प्रैक्टिस थी, न बूथ कैप्चरिंग का कोई तजुर्बा था ऊपर से स्वयं सोच-समझ कर अपना फ़ैसला स्वयं लेने की बुरी-लत। इस सब के रहते चुनाव में लीडर-लीडर कैसे खेलूंगा??

Read More »

गृहलक्ष्मी की महिमा निराली

आपकी यह पूजा अवश्य सफल होगी। देवी लक्ष्मी तो कभी सामग्री ग्रहण करती नहीं, जबकि गृहलक्ष्मी हर बार खुश होकर आपकी वंदना-सामग्री स्वीकार कर लेगी और हो गई आपकी पूजा सफल।दीवाली के मौक़े पर आपकी पूजा दिवाले से बची रहकर सफल हो

Read More »

रिश्वत दें, लें पर प्यार से

मैं तो नहीं पर अपने गांव के बोधराम शास्त्री का कहना है- रिश्वत लेने के बाद मंदिर जाने को मन करे तो हो आएं, इससे मन की शुद्धि तो नहीं होती पर शुद्धि का भ्रम ज़रूर होता है। रिश्वत देने व लेने को आदत न बनाएं, इसे शौक़ मानकर लें और दें।

Read More »

कैसे-कैसे खिलाड़ी

इनकी लिस्ट पूरे विश्व में सबसे लम्बी हो सकती है। ऐसे खिलाड़ी हमें हर गली मोहल्ले में मिल सकते हैं। वैसे इन्हें राजनीति का खिलाड़ी यानी नेता भी कह कर पुकारा जाता है। इनकी गेम का कोई मुक़ाबला नहीं कर सकता।

Read More »

वो पंडित भला किस काम का जो

देख... यजमान की दरियादिली... पंडित जी! ऊपर से नीचे तक मुस्काए, उनकी वीभत्स मुस्कुराहट देखकर नौ के नौ ग्रह घबराए... पंडित जी ने आव देखा न ताव... झोले से काग़ज़ पेन निकाला... ठीक की गले की मायावी माला... चौकड़ी मार... अपनी कंगाली झाड़... सामग्री लिखने लगे

Read More »

वर्कशॉप का वाक़या

गुणा मोटर मैकेनिक है। गुणा आज परेशान है। डाकिया उसे एक चिट्ठी थमा गया है। शिक्षा विभाग के निदेशक की ओर से यह चिट्ठी आई थी। लिखा था, ‘नवसाक्षर सरल लेखन पुस्तक निर्माण दस दिवसीय कार्यशाला नैनीताल में है। आप सादर आमंत्रित हैं।’

Read More »

आज की बहू कभी सास भी तो होगी

अब देखिए न, खूसट (?) सास को इतना तजुर्बा हो तो हो पर वो बातें कहां मालूम जो पढ़ी-लिखी (!!) बहू को मालूम हैं। ये किट्टी पार्टियां, ये सिनेमा, शॉपिंग ज़रूरी (!) हैं। ऐसे में बूढ़ों की देखभाल की सिरदर्दी कौन झेले, ये ननद के नखरे, देवरों की अकड़ कौन झेले।

Read More »

साहबे भक्ति कलियुगे

'कमाल है यार, बड़े कम दिमाग़ के हो। वे दफ़्तर के साहब हैं, चपरासी नहीं। साहब का दुःख सभी का होना चाहिए। साहब बीमार तो क़ायदे से पूरा दफ़्तर बीमार होना चाहिए। साहब परेशान तो क़ायदे से पूरा दफ़्तर परेशान दिखना चाहिए। साहब छुट्टी तो...'

Read More »

चालीस साल के बाद डेटिंग

रही बात बदनामी की तो इससे हरगिज़ न घबराएं.... अगर आपके नाम के साथ थोड़ा बहुत स्कैंडल जुड़ता है तो इससे अपकी चर्चा बढ़ेगी। हो सकता है इससे आपको सकारात्मक लाभ मिले।

Read More »

और उसकी शादी हो गई

काजोल ने अजय के साथ….. शादी कर ली थी। मैं गुमसुम की अवस्था में बैठा हुआ सोच रहा था कि आख़िर काजोल की ऐसी कौन सी मजबूरी थी, जिसके कारण उसे अजय के साथ शादी करनी पड़ी। मैंने अपने दिल को बहुत ही मज़बूती के साथ संभाल रखा था।

Read More »