व्यंग्य

पत्रकारिता की पौध

-माधवी रंजना पत्रकारिता के गरिमापूर्ण धंधे से उपजी शौहरत व सुविधा सम्पन्नता के आकर्षण से उग रही आधुनिक पत्रकारिता के नायकों की पौध आजकल अपनी मूल जाति से अलग हो कर कई उपजातियों में विभक्त हो गई है। पत्रकारिता की इस नई पौध-पनीरी से असली पत्रकार छांटना कोई सरल कार्य नहीं। नई पौध-पनीरी के वैज्ञानिक विश्लेषण से इस जाति की ...

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आज्ञाकारी पति होने के फ़ायदे

हर आदमी को घर में पत्नी का आज्ञाकारी ज़रूर होना चाहिए, करवा चौथ का व्रत खुद रखना चाहिए, पत्नी को ब्यूटी पार्लर, किट्टी पार्टियों में ले जाना चाहिए, सुबह उठकर बेड-टी पिलानी चाहिए, तथा उनका लंच-बॉक्स तैयार करना चाहिए, पत्नी की साड़ियां-ब्लाउज़, सलवार-कमीज़ प्रैस करने चाहिए,

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फ़र्क़ बहुत है अलबत्ता

– दीप ज़ीरवी हिन्दी चलचित्र सत्ते पे सत्ता में एक गीत था कि …. दुक्की पे दुक्की हो या सत्ते पे सत्ता ग़ौर से देखा जाए तो बस है पत्ते पे पत्ता कोई फ़र्क़ नहीं अलबत्ता वह फ़िल्म थी, वह चलचित्र था भी हास्य प्रधान किन्तु भाषा हास्य अथवा उपहास का विषय नहीं, सौहार्द एवं गंभीर चिन्तन की मांग करती ...

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भ्रष्टाचार से एक मुलाक़ात

-बलदेव राज भारती 15 अगस्त की रात्रि 10 बजे थे। मैं अपने कमरे में बैठा कोई रचना लिखने में व्यस्त था। अचानक तेज़ हवा के एक झोंके ने बन्द दरवाज़े को खोल दिया। खिड़कियां ज़ोर-ज़ोर से खड़कने लगी। मुझे दूरदर्शन पर देर रात्रि चलने वाले भूतीया धारावाहिक ‘आप बीती’ की याद हो आई। मुझे लगा कि कमरे में किसी प्रेतात्मा ने ...

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ब्रह्मलोक का आधुनिकीकरण

– दविन्द्र कालिया करोड़ों साल बाद तपस्या में लीन जब ब्रह्मा ने आंखें खोलीं तो सबसे पहले उनकी नज़र रिमिक्स धुन बजा रही सरस्वती पर पड़ी। ऐसी धुन उन्होंने पहले कभी नहीं सुनी थी। अपना आश्चर्य दूर करने के लिए ब्रह्मा जी ने सरस्वती से पूछा। ‘ये कौन-सी धुन बजा रही हो देवी?’ ‘आप जाग गए प्रभु।’ तभी सरस्वती ने ...

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जनता का चालान समारोह

-शैलेन्द्र सहगल मैं एक पुलिस नाके से बोल रहा हूं। आज यहां पर ए.एस.आई – सरदार सिंह अपने पूरे तामझाम सहित मौजूद हैं और कोटा पूरा करने के लिए अर्थात् रिकॉर्ड पूरा करने के लिए चालान समारोह का आयोजन हो रहा है। मैं पत्रकार हूं मुझे पूर्व निमन्त्रण भेज कर तो बुलाया नहीं गया था। आम परिस्थितियों में तो पत्रकारों ...

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पति परमेश्‍वर

“तुम्हारे विचार भारतीय संस्कृति के अनुरूप नहीं हैं। हमारे यहां पति को परमेश्‍वर मान कर उसकी पूजा का विधान है। पत्‍नी उसकी अनुगामिनी है। वह किसी भी दृष्‍ट‍ि से उसकी बराबरी नहीं कर सकती। मैं चाहता हूं कि तुम मुझे पति परमेश्‍वर के रूप में मान्यता दो।”

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निकम्मे आदमी की डायरी

-धर्मपाल साहिल शाम 6 बजे-(ग़ैर छुट्टी वाला दिन) हम दफ़्तर से लौटे तो ज्वालामुखी सी फटने को तैयार पत्‍नी ने हमें पानी के गिलास की जगह बिजली का बिल पकड़ाते हुए खूंखार अंदाज़ में गुर्राते हुए कहा, “देख लो, बिजली का कितना बिल आया है हमारा?” “कितना आया है माड़ू की मां?” “पूरा हज़ार रुपये।” “फिर क्या हुआ, पहले भी ...

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अल्लाह मार डाला फ़ैशन ने

  -रिपुदमन जीत ‘दमन’ आज के दौर में फ़ैशन का तो यह आलम है कि आज एक फ़ैशन तो कल दूसरा। सुबह कोई और तो शाम को कुछ और। हमारे पड़ोसी वर्मा जी का बेटा, हाथ में कपड़ों का बैग थाम बदहवासी की दशा में भागता आ रहा था। पूछने पर बोला कि दर्ज़ी के यहां से कपड़े लेकर आया ...

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