साहित्य सागर

हौसला

ये क्या बुज़दिली है। आपको बिना क़सूर किए मरने की क्या ज़रूरत है। भाढ़ में जाए समाज और भाढ़ में जाएं रिश्तेदार, हमें धैर्य और हौसले से जंग जीतनी होगी।

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सरकारी नौकरी का करिश्मा

उसके ऑर्डरों पर साफ़ लिखा था दो वर्ष प्रोबेशनरी पीरियड बीत जाने के बाद पूरा वेतन तीस हज़ार मिलेगा। दीक्षा के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी थी। वह जाॅॅॅइन करे या न करे।

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बाकी सवाल

रात के इस पहर के बाद, रात और कितनी बाकी है। वक़्त के इस पड़ाव के बाद, ज़िदगी और कितनी बाकी है।

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वफ़ादार

“नहीं, नहीं सीमा नहीं, तुम्हें मैं कहीं भी लेकर नहीं जा रहा हूूं, तुम तो धोखेबाज़ हो, आज मैंनें तुम्हें अच्छी तरह से परख लिया है।” “क्या कहा, धोखेबाज़। और वो भी मैं?

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पुनर्स्थापना

खुजराहो के किसी मंदिर की भित्ति से चुरा कर एक ऋषि ने मंत्र-सिद्ध कर तुम्हें साकार कर दिया मेरे लिए

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औरत

बिख़र गई हूं पंक्ति बन कर मैं। अपने-अपने दृष्टिकोण पर, सबने परखा मुझको। मनचाहा अर्थ लगाया मेरा। कौन समझा सही अर्थ को ?

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