साहित्य सागर

बिखरी ज़िंदगी

सुलेख सोचता जा रहा था कि क्या शौक़ की भी कोई क़ीमत होती है? अब वो है नौकरी। सिर्फ़ 2000 रुपए हर महीने मिलेंगे। इसके लिए उसे अपना शौक़ बेचना पड़ेगा।

Read More »

नारी की नियति

कहानी में फै़सला तुमने पाठकों पर छोड़ दिया। लेकिन तुम्हारे विचार में तुमने उसके शोषण के प्रति क्या निर्णय लिया? क्या उसकी कोई मदद...।

Read More »

बापू की भारत यात्रा

सुनो, चरखायान को वापस मोड़ लो मैं आगे नहीं जाना चाहता। जिस सत्याग्रह को मैंने अपना हथियार बनाया था। उसी सत्याग्रह हथियार बना लिया लोगों ने।

Read More »

सोचा न था

यह सुनते ही भड़क गई थी महक और तुम्हारे कमरे से जाते ही सोमेश पर बरस पड़ी “इतनी ही सुन्दर है वह तो उसी से कर देती न मां आपकी शादी, मुझसे क्यों की।”

Read More »

    वह एक दिन

‘ये कैसे हो सकता है?’ मनु ग़ुस्से से अपनी सफ़ाई पेश करता हुआ बोला  ‘मैंने अपने जिस्म का खून देकर ये नोट हासिल किये थे....मुझको खाना चाहिये मेरे बच्चे भूखे हैं।

Read More »

आवाज़

देख मैं तेरे शहर में भी आ गया क़लम को अपने दर्द की ज़ुबान बना गया तुम और तेरा प्यार सदा रहे सलामत

Read More »

रात भर

जब सितारों से बात होती है। बड़ी लम्बी सी रात होती है।। चांदनी से भरे उजालों में। एक परछाईं साथ होती है।। रात भर बोलते है सन्नाटे। रात भर किससे बात होती है।।

Read More »

समर्पिता

लगा जैसे धरती हिली हो, कोई भूचाल आया हो। घिग्घी-सी बँध गई दोनों की क्योंकि दोनों ही बातों में से कुछ भी कर पाना, असंभव ही तो था।

Read More »

गृहस्थी

मैं चिन्ता में गहरे समा रहा था कि पत्नी बोल पड़ी, “सोच क्या रहे हो? उसे कोई पूछता भी था? कितनों को तो तुम दिखा चुके थे। कोई उसे छापने को तैयार था?”

Read More »

करवा चौथ

आंसुओं की अविरल धारा बह-बह कर अख़बार में छपी उसकी तस्वीर को भिगो रही है और वह दूर कहीं दूर अतीत की यादों में खो गई

Read More »