“हिन्दी सिनेमा में वैंप तो अब कल की कहानी हो गई है। जैसे-जैसे हीरोइन्ज़ खुलती गईं, बोल्ड होती गई वे वैंप के रोल को निगल गईं।
Read More »स्क्रीन र्व्लड
दिशा व दशा हीन होता मीडिया
नो न्यूज़ मीन गुड न्यूज़ होता है। जबकि विज़ुअल मीडिया फंडा का है कि ख़बर नहीं है तो भी ख़बर को क्रिएट किया जाए!
Read More »अभिनय के साथ एंकरिंग
क्या भविष्य होगा इन चैनलों का
फ़िल्में समाज का दर्पण
फ़िल्में एक सशक्त सार्वजनिक माध्यम हैं मगर चूंकि व्यवसायिकता से जुड़ा है इसलिए इस के निर्माता-निर्देशकों पर आर्थिक हितों के लिए फ़िल्मों में अश्लीलता और नग्नता ठूंसने का आरोप निरन्तर लगता रहा है। इस बात से कोई असहमत नहीं हो सकता कि फ़िल्मों का समाज पर व्यापक प्रभाव है। फ़िल्मी सितारों की अपार की लोकप्रियता इस बात का प्रमाण भी ...
Read More »शरत की कहानी पर फ़िल्में
-विद्युत प्रकाश मौर्य महान् उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय फ़िल्मकारों की हमेशा अच्छी पसंद में रहे हैं। विधु विनोद चोपड़ा उनके लोकप्रिय उपन्यास परिणिता पर इसी नाम से फ़िल्म लेकर आए। हालांकि परिणिता पर इससे पहले अलग-अलग नाम से दो फ़िल्में ...
Read More »इतनों में से उठे दो शूरवीर
फ़िल्म जगत के इतिहास में मुझे वह दो शूरवीर मिले हैं जिन्होंने कड़ी मेहनत की है, लगातार लड़े हैं और विजयी होकर सामने आए हैं। इन दोनों शूरवीरों की कहानी- परी कहानी की भूमिका जैसी है।
Read More »भारतीय सिनेमा के हास्य अभिनेता
हंसी-मज़ाक के बिना ज़िंदगी का कोई मोल नहीं। ये हंसी ही ज़िंदगी के सभी पलों को सच्चा जीवन प्रदान करती है और बड़े से बड़े मुश्किल लम्हों को सहन करने की शक्ति देती है। जहां हंसना बेहद आसान है वहीं किसी को हंसाना उतना ही कठिन। पर भारतीय सिनेमा में हास्य अभिनेताओं की कोई कमी नहीं है जो इस तरह ...
Read More »सौंदर्य प्रसाधन और विज्ञापनों का मायाजाल
एक बार किसी अमेरिकी से पूछा गया कि आप सौंदर्य किसे कहेंगे तो तुरंत जवाब मिला कि सौंदर्य वह चीज़ है जिस पर केवल अमेरिकी कंपनियां करोड़ों डॉलर की पूंजी लगा कर व्यवसाय कर रही हैं और प्रत्येक वर्ष लाखों डॉलर का व्यापार करती हैं। हमारी पुरानी मान्यताओं को इससे गहरा सदमा पहुंचेगा क्योंकि हमारे कवियों ...
Read More »मीडिया को निगलता विज्ञापन का मक्कड़़जाल
मीडिया को निगलता विज्ञापन का मक्कड़़जाल
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