गोपाल शर्मा ‘फिरोजपुरी’

ज़िन्दगी क्या है?

इस ब्राह्मांड में तीन लोक हैं, पृथ्वी लोक, जिस पर हम रह रहे हैं। स्वर्ग लोक, देव लोक, पाताल लोक। इन के परमात्मा ने अलग-अलग स्वामी नियत किये हैं।

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नारी सशक्तिकरण कैसे हो ?

कोई उसकी पुकार सुनने वाला नहीं है। प्रशासन क्यूं बेबस हो जाता है, कानून क्यूं घुटने टेक देता है, पुलिस क्यूं ख़ामोश रहती है पता नहीं।

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 खेलें बच्चों को नशे से बचायेंगी

शराब, गांजा, कोकीन, हेरोइन के आदी नवयुवक, युवतियां देश की रक्षा कैसे करेंगे? कैसे ये बच्चे सेना, पुलिस, सुरक्षाबलों में भर्ती होकर देश की रक्षा करेंगे?

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हौसला

ये क्या बुज़दिली है। आपको बिना क़सूर किए मरने की क्या ज़रूरत है। भाढ़ में जाए समाज और भाढ़ में जाएं रिश्तेदार, हमें धैर्य और हौसले से जंग जीतनी होगी।

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मज़ेे लूटो बरसात के

इन राड़ों को चित्रते हुए लड़कियां गीत भी गाती हैं- उड़ मर, कूंजड़ीए अड़ीए नी सौण आया। उत्तर में भी अपने आप ही गाती हैं - किवें उड़ां नी मड़ीए देस पराया।

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सरकारी नौकरी का करिश्मा

उसके ऑर्डरों पर साफ़ लिखा था दो वर्ष प्रोबेशनरी पीरियड बीत जाने के बाद पूरा वेतन तीस हज़ार मिलेगा। दीक्षा के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी थी। वह जाॅॅॅइन करे या न करे।

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चुनाव लाभदायिक व्यवसाय है

चुनाव आते राजनीतिक पार्टियां लंगोट लगा वोटर अखाड़े में दूसरे को चित्त करने को तैयार होती हैं। हर दल साम-दाम दण्ड-भेद छल-कपट और हर प्रकार के मिथ्य दावों का ढिंढोरा पीटता है।

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वन सम्पदा को बचाईये

बेतहाशा पानी बहाकर पानी के स्त्रोतों को मिटा रहे हैं। नदियां तालाब सब सूख रहे हैं हम इनमें गन्दगी फैलाकर पर्यावरण को दूषित कर ही रहे हैं बीमारियों को भी आमन्त्रण दे रहे हैं।

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