ज्योति खरे

सुंदरता या ग्लैमर बदले मायने

कई बुद्धिजीवियों का मानना है सौंदर्य का क्षेत्र इतना संकुचित नहीं। यदि महिला देखने में सुंदर है किन्तु पढ़ी-लिखी न हो तो वह सुंदरता फीकी पड़ जाती है। सुंदरता तो देश-प्रदेश के साथ अपनी परिभाषा बदलती रहती है।

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स्त्रियां व्रत क्यों रखतीं हैं?

कई बार तो किसी व्रत को महिलाएं अन्य को देखकर पीढ़ी-दर-पीढ़ी करती आ रही हैं। यह व्रत क्यों और किसके लिए किया जाता है, उन्हें यह भी नहीं मालूम होता। वैसे हमारे यहां व्रत के नियम भी लोचदार बनाने का नियम है। जैसे ज़्यादा प्यास लगने की स्थिति में घुटने के बल बैठकर पानी पिया जा सकता है।

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