-दीप ज़ीरवी कहते हैं कि शादी बूर का लड्डू है, जो खाय वो भी पछताए, जो न खाए वो भी पछताए। सुकरात ने कहा था कि शादी करवाने वाला तो दु:खी होता ही है किन्तु शादी न करवाने वाले भी सुखी नहीं कहे जा सकते। किसी के विचार में शादी एक आवश्यक ग़लती है जो हर व्यक्ति को करनी ...
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तमाम उम्र का निचोड़ बुढ़ापा -दीप ज़ीरवी
-दीप ज़ीरवी यौवन उफनती हुई स्वच्छंद धारा। इस धारा का प्रवाह समय के साथ-साथ शनै:-शनै: मंद पड़ते-पड़ते जब ठहराव की सी स्थिति को प्राप्त हो जाता है उस अवस्था को बुढ़ापा कहते हैं। यौवन यदि मानव जीवन की सुनहरी रूपहली दोपहर है तो बुढ़ापा शांत नीर व संध्या बेला। यह शाश्वत सत्य है कि दोपहर चाहे जितनी लम्बी, सुनहरी, रूपहली ...
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