धर्मपाल साहिल

विष कन्या

बस रुकते ही वह हवा के झोंके की तरह बस में चढ़कर मेरे साथ ख़ाली पड़ी सीट पर बैठ गई। उसके स्पर्शमात्र से मेरी रगों में बहते खून की गति तेज़ हो गई। तेज़ी से पीछे की ओर भागते पेेड़ों, पौधों, घरों, खेतों, खलिहानोंं से हटकर मेरी नज़रे उस अप्सरा पर मंडराने लगी थीं।

Read More »

धत तेरे की

-धर्मपाल साहिल आज वह ऑफ़िस में रीना का सामना कैसे कर पाएगा। इस बात को लेकर वह सुबह से ही परेशान था। रात भी वह ठीक ढंग से सो नहीं पाया था। आधी रात को एक बार आंख खुली तो बस फिर नींद आंखों के पास न फटकी। करवटें बदलते सूरज चढ़ आया था। रोज़ाना की भांति ‘मॉर्निंग वाक’ के ...

Read More »

बिन फेरे हम तेरे कब तक रहेंगे

-धर्मपाल साहिल भारत एक समृद्ध एवं सुसंस्कृत परम्पराओं वाला देश है, जिस कारण विश्व भर में भारत की एक विलक्षण पहचान बनी है। इन्हीं परम्पराओं में एक है विवाह परम्परा। प्रजातियों की निरन्तरता एवं अनुवांशिक विकास हेतु समाज शास्त्रियों ने परिवार गठन के कुछ नियम गढ़े और सदियों से हमारा समाज इस परम्परा का पालन करता आ रहा है। आरम्भिक काल ...

Read More »

निकम्मे आदमी की डायरी

-धर्मपाल साहिल शाम 6 बजे-(ग़ैर छुट्टी वाला दिन) हम दफ़्तर से लौटे तो ज्वालामुखी सी फटने को तैयार पत्‍नी ने हमें पानी के गिलास की जगह बिजली का बिल पकड़ाते हुए खूंखार अंदाज़ में गुर्राते हुए कहा, “देख लो, बिजली का कितना बिल आया है हमारा?” “कितना आया है माड़ू की मां?” “पूरा हज़ार रुपये।” “फिर क्या हुआ, पहले भी ...

Read More »

मनुष्य विकास क्या सचमुच बंदर से हुआ है?

-धर्मपाल साहिल आज से लगभग दो सौ साल पूर्व इंग्लैंड वासी चार्लस डार्विन ने जीव विकास का सिद्धान्त पेश कर दुनियां भर में तहलका मचा दिया था। उनके इस सिद्धान्त को दुनियां भर के स्कूल-कॉलेजों में पढ़ाया जा रहा है और पूर्ण मान्यता भी मिली है। डार्विन का सिद्धान्त “प्राकृतिक वर्ण” के नाम से प्रसिद्ध हुआ। डार्विन ने कई प्रयोगों ...

Read More »

क किताब बनाम क कम्प्यूटर

  -धर्मपाल साहिल किताबें इन्सान की सब से अच्छी दोस्त होती हैं। जब आपके साथ कोई न हो तब एक अच्छी किताब आपका बसा-बसाया संसार सिद्ध होती है। दुनियां भर का समस्त इतिहास, संस्कृति, दर्शन, यहां तक कि हर क़िस्म का ज्ञान किताबों में संरक्षित और सुरक्षित है तथा किताबों द्वारा ही पुरानी पीढ़ी से नयी पीढ़ी तक पहुंच रहा ...

Read More »

दांव

“किसकी इज़्ज़त कैसी इज़्ज़त और लोग भी अपनी बीवियाँ दांव पर लगा रहे हैं …. तू भी चल।” बापू कपड़े धोने वाली थपकी उठा लाया ।

Read More »

स्‍वतन्‍त्रता संग्राम में पंजाब का साहित्‍य एवं साहित्‍यकार

किसी भी जाति की उन्नति के लिए उच्च कोटि के साहित्य की ज़रूरत होती है। ज्यों-ज्यों साहित्य ऊंचा उठता है, त्यों-त्यों देश की तरक्‍क़ी होती है-भगत सिंह पंजाब की ज़रखेज भूमि ने जहां गुरू गोबिन्द जैसे तलवार के धनी शूरवीरों को जन्म दिया, वहीं उस ने महान चिन्तकों, विचारकों, सिद्धान्तकारों कलाकारों, साहित्यकारों की जननी होने का गौरव भी प्राप्‍त किया ...

Read More »