अमृता ने अपनी जीवन की अन्तिम कविता जो उसने 2002 में अपने हर पल के साथी इमरोज़ के लिए लिखी थी, में उससे अपने पुनर्मिलन की हार्दिक इच्छा यूं अभिव्यक्त की है:- “मैं तुझे फिर मिलूंगी कहां? कैसे? मालूम नहीं
Read More »September 15, 2014 1 Comment
अमृता ने अपनी जीवन की अन्तिम कविता जो उसने 2002 में अपने हर पल के साथी इमरोज़ के लिए लिखी थी, में उससे अपने पुनर्मिलन की हार्दिक इच्छा यूं अभिव्यक्त की है:- “मैं तुझे फिर मिलूंगी कहां? कैसे? मालूम नहीं
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