ख़रीदारी पर होने वाले ख़र्च का लेखा-जोखा करने वालों की संख्या बहुत कम है। भारत में मात्र पन्द्रह फ़ीसदी ख़रीदार ख़रीदारी का लेखा-जोखा रखते हैं।
Read More »मनोहर चमाेली मनुु
प्यार का नया अंदाज़
सूचना क्रांति के इस युग ने इश्क़, प्यार, मुहब्बत और प्रेम के इन समानार्थी शब्दों के इज़हार के मायने भी बदल दिए हैं। प्रेम जैसी संवेदनशील, कोमल भावनाओं का आदान-प्रदान करने के तरीक़ों में बेहद बदलाव हुए हैं।
Read More »औरतें ही हैं अव्वल
समूची दुनियां मान चुकी है औरतें पुरुषों की अपेक्षा अधिकांश क्षेत्रों में अव्वल हैं। आप माने न माने औरतों के गुण जन्मजात हैं, उनके समक्ष पहुंचना मर्दों के वश की बात नहीं।
Read More »अजन्मी बच्ची
नाम? अनाम उम्र? तीन मास तीस साल? नहीं तीन माह कद?
Read More »वर्कशॉप का वाक़या
गुणा मोटर मैकेनिक है। गुणा आज परेशान है। डाकिया उसे एक चिट्ठी थमा गया है। शिक्षा विभाग के निदेशक की ओर से यह चिट्ठी आई थी। लिखा था, ‘नवसाक्षर सरल लेखन पुस्तक निर्माण दस दिवसीय कार्यशाला नैनीताल में है। आप सादर आमंत्रित हैं।’
Read More »चिमटा
चिमटा ख़रीदने की सोच रही है मां पिछले कई दिनों से पर अक्सर ज़रूरतेंं बड़ी हो जाती हैं चिमटे से जलती हैं मां की अंगुलियां अक्सर रोटियों सेंकते हुए
Read More »बनो अच्छा पड़ोसी
मैं मिलनसार हूं। संकोच की छाया तो मैंने कभी अपने व्यक्तित्व पर पड़ने ही नहीं दी। पड़ोसियों के घर की चीज़ें मेरी ही हैं। पड़ोसी का अख़बार मैं पहले पढ़ता हूं। उनका हैंड पम्प हमारा ही है। उनका रेडियो, खुरपा, कुदाल, हथौड़ी बाल्टी आदि मेरे घर में हैं।
Read More »मंझदार
“बाई जी! कुछ खाने को दे दो बाई।” पीछे से आये कोमल स्वर ने मुझे चौंका दिया! मैं बहुत देर से झील की नैसर्गिक सुन्दरता को निहार रही थी। उसकी आवाज़ ने मेरी एकाग्रता तोड़ दी, मैंने पीछे मुड़कर देखा तो वह मेरे पैरों में झुक गई। उसने फिर रटा-रटाया वाक्य दोहराया। “अरे! पैर तो छोड़।” मैं दो क़दम पीछे ...
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