सिमरन

दोस्ती के दीप

हम तो चले थे घर से दर्द को कम करने। कुछ इस क़दर बिखरे थे ग़म राहों में कि खुद दिल बोझिल हो चला। कुछ वीरान आंखें देखी, कुछ उदास सपने, कुछ बिखरे हुए कारवां। ऐसे ज़ख़्म जिनको सहलाने के लिए दोस्ती की, मुहब्बत की ज़रूरत है। आंसुओं को पोंछने के लिए प्यार भरे हाथों की ज़रूरत है। दोस्ती एक ...

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करवट लेते समय में

कब कोई थाम सका समय की सूइयों को। अपने साथ कई परिवर्तन लाता समय अनवर्त गति से बढ़ता जाता है। देखते ही देखते समय कहां से कहां पहुंच चला। तारीख़ें बदली, युग बदले और इन्सान के विकास की दास्तान दर्ज होती गई। लेकिन विकास अपने साथ लाया नई समस्याएं, नई दुविधाएं, नए ख़तरे, नई चुनौतियां। कुछ समय में बदलाव कुछ ...

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उड़ान के लिए फड़फड़ाते पंख

   अरमां मचले तो थे तड़प कर रह गए।    होंठ हिले तो थे पर  शब्द दम तोड़ गए। वो तड़पती हुई मुसकराती गई पर उफ़ न की –    वह औरत थी। इज़्ज़त का सवाल है।  दोनों कुलों की लाज है वो। बदनामी होगी…. श……..श……… ये फ़र्ज़ हैं तेरे, ये कर्त्तव्य हैं तेरे। औरत मां है, बेटी है, बीवी है। ...

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समय का सच

जो आज हमारे लिए सत्य है वो कल भी सत्य माना जाए, यह आवश्य‍क नहीं। सत्य को जानना, पहचानना और उसकी पहचान करवाना इतना आसान नहीं होता है। किसी सत्य को पहचान कर उसकी पहचान करवाने में एक लम्बा संघर्ष होता है। इसी संघर्ष का प्रयत्न किया है सरोपमा ने। एक सदी से दूसरी सदी में प्रवेश करते हुए सरोपमा ...

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पैग़ाम-ए-मुहब्बत

ज़िन्दगी एक इबादत है। पूज्य है इन्सानियत। आदमीयत के लिए दिलों में मुहब्बत ज़िन्दगी को जीने लायक़ बनाती है। दुनिया बनाने वाले ने कितनी खूबसूरत दुनिया का, कितनी हसीन ज़िन्दगियों का तसव्वुर किया होगा। जहां लोगों में एक दूसरे के लिए स्नेह हो, श्रद्धा हो, वहीं तो पूज्यस्थल है। स्नेेह, श्रद्धा और मुहब्बत का वास्ता समर्पण से है लेकिन आज ...

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सिसकते रिश्‍ते

‘ये कैसा दस्‍तूर है, कैसे रिवाज़ हैं। नाज़ों से पाली लाडो को यूं देस पराए दे देना।‘ मद्धम-मद्धम सी शहनाई की आवाज़ में रिश्‍ते सिसक कर रह जाते हैं। छूटते नज़र आते हैं सब अपने, तो भीगी आंखों से धुंधला-सा नज़र आता है वो बचपन का आंगन। काजल से बनी लकीर धो डालती है वो पुरानी बातें। अभी-अभी छलांगें लगाती ...

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समय के साथ-साथ

हर व्यक्‍ति कामना करता है कि आने वाला समय खूबसूरत हो। समय तो सदा एक जैसा ही रहता है उसे खूबसूरत बनाना पड़ता है। यदि हम आने वाले समय को अपनी कल्पनाओं के अनुरूप बनाना चाहते हैं, यदि हम अपनी अभिलाषाओं की पूर्ति करना चाहते हैं तो हमें खुद प्रयत्न करने होंगे। समय को अपनी कल्पनाओं, अपनी अभिलाषाओं के अनुरूप ...

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बदलते मौसम

परिवर्तन संसार की रीत है। इतिहास साक्षी है जब-जब भी परिवर्तन हुए हैं इनके आगे रुकावटें भी आती रही हैं, तोहमतें भी लगती रही हैं पर परिवर्तन तो हो कर ही रहे हैं। कोई खोज अंतिम नहीं, कोई सच अंतिम नहीं। प्रयत्न भी होते रहेंगे, परिवर्तन भी होते रहेंगे। थके-हारे व्यक्ति ही पुराने विचारों के साथ जुड़े रहते हैं। कमज़ोर ...

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रास्ते और मंज़िल

रास्ते मंज़िल का निशां होते हैं। आमतौर पर हमें अपनी ज़िन्दगी के रास्ते वैसे नहीं मिलते जिन पर हम चलना चाहते हैं। बहुत कुछ करना है, बहुत कुछ सीखना है, इसी ख़्याल से हम उन्हीं रास्तों पर सफ़र शुरू कर देते हैं जो भी रास्ते हमारा नसीब होते हैं।  ज़िन्दगी एक ऐसे रास्ते की तरह है जिसमें जगह-जगह मोड़ हैं, ...

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टूटती ज़ंजीरें

जो लिखा है वही होना है तो फिर किस बात का रोना है। क़िस्मत का रोना कमज़ोर आदमी की अलामतें हैं। यदि उस लिखने वाले के ज़िम्मेे ही सब कुछ छोड़ दिया जाए तो हमारे करने को तो कुछ बचेगा ही नहीं। तदबीर से तक़दीर बनती है हमेशा, इक बार आगे तो बढ़ के देख। आज़मा ले इक बार अपने ...

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