क्या करें अगर कुण्डली में पितृ ऋण हो तो—
1-जीवित पिता और गुरू की सेवा करें ध्यान रहे कोई भी ऐसा कार्य न होने पाये जिससे पिता और गुरू को कष्ट हो।
2- माता-पिता और गुरू के चरण छूकर आशीर्वाद लेकर ही घर से बाहर निकलें सफलता अवश्य मिलेगी।
3- प्रतिदिन दो रोटी गाय को खिलाएं।
4- प्रतिदिन किसी एक जोड़े को भोजन कराकर दक्षिणा देकर विदा करें।
5- कौए और कुत्ते को भी भोजन कराएँ।
6- यदि पितृ ऋण का कारण बुध गृह हो तो पीपल के पेड़ लगाएं।
7- यदि पितृ ऋण का कारण शुक्र गृह हो तो गूलर के पेड़ लगाएं।
8- यदि पितृ ऋण का कारण राहु गृह हो तो गणेश जी को प्रतिदिन एक सौ आठ दूर्वांकुर चढ़ाएँ और हाथी को भोजन कराएँ।
9- यदि पितृ ऋण का कारण बुध शुक्र और राहु गृह हो तो पितृ गायत्री कराएँ।
10- श्रीमद भागवत के मूल पाठ से पितृ ऋण की शान्ति स्वतः हो जाती है।
नोट – ध्यान रहे उपरोक्त उपाय करने से पहले कुण्डली की विवेचना अवश्य कराएँ…
पंडित “विशाल” दयानंद शास्त्री
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