-दीपक कुमार गर्ग

अंग्रेज़ी में एक कहावत है “फर्स्ट इम्प्रेशन इज़ लास्ट इम्प्रेशन” इसको हिन्दी में परिभाषित किया जाए तो यह कहा जाएगा कि आप जिस व्यक्‍त‍ि को पहली बार मिलने पर जिस तरह का व्यवहार करते हो उस व्यक्‍त‍ि के दिमाग़ में ताउम्र के लिए आपके बारे में वैसी ही छवि बन जाती है। ऐसे हालात में कौन नहीं चाहेगा कि पहली मुलाक़ात में वह सामने वाले के ऊपर ऐसी छाप छोड़े कि सामने वाले के ऊपर ताउम्र के लिए उसके प्रति अच्छी छवि बन जाए। परंतु देखने में आता है कि ज़्यादातर लोग इसमें असफल हो जाते है क्योंकि उनको इस बात की समझ ही नहीं होती है कि पहली मुलाक़ात में किस तरह किसी को ताउम्र के लिए अपना दीवाना बनाया जा सकता है।

यदि आप चाहते हैं कि आपने पहली मुलाक़ात में किसी को प्रभावित करना है तो सबसे पहले तो इस बात का ध्यान रखना ज़रूरी है कि आप सामने वाले के साथ जो बातचीत कर रहे हो उस बातचीत का उसके चेहरे पर कैसा प्रभाव हो रहा है इस प्रभाव के बारे में भांप कर आप अपनी बातचीत के तरीक़े को नियंत्रित करना सीखें। जब भी आप किसी को पहली बार मिलते हो तो अपना ध्यान उस व्यक्‍त‍ि पर केन्द्रित करें, आंख से आंख मिलाकर बात करें, चाहे वह कितनी ही महान् हस्ती क्यों न हो। नर्वस होकर इधर-उधर देखते हुए बात न करें। यदि आपको लगे कि सामने वाला आपको बोर कर रहा है तो भी पहली बार उसकी बातचीत को पूरे ध्यान से सुनें। सामने वाले के ऊपर एकदम हावी होने की कोशिश न करें।

हाथ मिलाते समय ध्यान रखें कि न तो हाथ को ढीला छोड़कर मिलाया जाए और न ही हाथ को एकदम सख़्त करके। हाथ मिलाते समय आपके चेहरे पर खुशी और अपनापन झलकना चाहिए। आजकल की फास्ट लाइफ़ में कई ऐसे मौक़े भी आते हैं कि आपको किसी औरत या लड़की के साथ हाथ मिलाना पड़ सकता है। ऐसी हालत में यदि आपके हाथ मिलाने के ढंग में शालीनता नहीं होगी तो आप मुश्किल में पड़ सकते हो। किसी के साथ पहली मुलाक़ात करते समय आत्म विश्‍वास होना ज़रूरी है। कई व्यक्‍त‍ि अकसर अपने सामने ऊंचे कद के व्यक्‍त‍ि को देखकर हड़बड़ा जाते हैं और कुछ ऐसी हरकत कर बैठते हैं कि कुछ न होते हुए भी उसका सामने वाले पर बुरा प्रभाव पड़ता है। यदि आपकी पहली मुलाक़ात किसी लड़की के साथ या औरत के साथ होने जा रही हो तो कभी भी उस लड़की या औरत पर ऐसा प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए कि उसको लगे कि आप चोरी-चोरी उसकी सुंदरता को निहार रहे हो। ऐसी लड़की या औरत आपकी कोई होने वाली रिश्तेदार हो सकती है या कोई सरकारी कर्मचारी, अधिकारी या कोई भी हो सकती है। इसी तरह कुछ लड़कियों को आदत होती है कि जब वह किसी पुरुष के साथ पहली मुलाक़ात करने जाती है तब अक्सर खूबसूरत होने के कारण उनको अपने से ज़्यादा अपनी खूबसूरती पर विश्‍वास होता है जो कि एक ग़लत सोच या विचार है। खूबसूरती से हर कोई प्रभावित नहीं होता। चाहे वह आपका होने वाला पति ही क्यों न हो।

लड़कियों और औरतों को ख़्याल रखना चाहिए कि पहली मुलाक़ात के समय कभी भी सामने वाले पर यह प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए कि आप अपनी खूबसूरती को हथियार बनाकर उसको प्रभावित करना चाहती हैं। कई बार ज़रूरी नहीं होता कि जिस समय आप किसी व्यक्‍त‍ि के साथ पहली मुलाक़ात करने लगे हो उस वक़्त आप दोनों ही हो। उस समय कुछ और व्यक्‍त‍ि भी मौजूद हो सकते हैं। कई बार आप नर्वस होकर कुछ छुपाकर इस तरह की हरकत कर बैठते हो कि उनको लगता है कि आपकी इन हरकतों के ऊपर सामने वाले की नज़र नहीं पड़ी है। यह सच है कि सामने वाला केवल आपकी बातचीत के अंदाज़ के ऊपर और आपकी नज़र के ऊपर ज़्यादा ध्यान देता है। पर आपके शरीर की हरकतों का आसपास खड़े होकर देख रहे व्यक्‍त‍ि पर बुरा असर पड़ सकता है।

जब आप किसी से पहली मुलाक़ात करो तो सामने वाले को ऐसा लगना चाहिए कि उनसे मिलकर आपको बड़ी प्रसन्नता हुई है। जब आप अपने होने वाले जीवनसाथी के साथ पहली मुलाक़ात करने जाते हो। कई बार वह आपकी पसंद का नहीं होता। तो भी आप पहली ही मुलाक़ात में हड़बड़ाते हुए फ़ैसला न लें। सामने वाले पर एकदम कभी भी यह प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए कि आपने उसे पसंद नहीं किया है। हर आदमी में अलग क्वालिटी होती है। ज़रूरी नहीं कि सामने वाला हमारा जीवनसाथी ही बने। आपकी इस मुलाक़ात का भविष्य में कोई और मकसद भी निकल सकता है। उदाहरण के लिए आपने किसी लड़की को पहली मुलाक़ात में ना-पसंद कर दिया भविष्य में वही लड़की आपके सामने किसी ऑफ़िसर या नेत्री के रूप में आ सकती है। आपको उससे कोई काम पड़ सकता है। किसी भी लड़के या लड़की को एक दूसरे को पहली मुलाक़ात में ना-पसंद करने की जगह बाद में शालीन ढंग से जवाब देना चाहिए।

किसी के साथ पहली मुलाक़ात करते समय अपनी बातचीत के ढंग के ऊपर ज़रूर ध्यान रखें। महाभारत क्यों हुआ, द्रोपदी और दुर्योधन की पहली मुलाक़ात के समय द्रोपदी द्वारा बनाया गया दुर्योधन का मज़ाक आख़िर महाभारत बनकर समाप्‍त हुआ। पहली मुलाक़ात के समय यदि सामने वाले की कोई बात अच्छी नहीं लगती तब भी उसका मज़ाक नहीं बनाना चाहिए।

कहते हैं कि ज़ुबान अच्छी हो तो फूल बरसते हैं और अगर ज़ुबान ख़राब हो तो तलवारें चला देती है। आपकी तरफ़ से किसी के साथ पहली मुलाक़ात के समय की जा रही बातचीत का ऐसा प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए कि सामने वाले को लगे कि आपने रट्टा लगा रखा है बातचीत के समय बिना वजह शेयर बोलना, फ़िलॉसफ़ी झाड़ना इत्यादि बेतुका लगता है। हमेशा सामान्य तरीक़े से ही बातचीत करें। मज़ाक या हैरानी से बचें। बचकाने हावभाव से भी बचें ताकि सामने वाले को ऐसा न लगे कि आप एक्टिंग कर रहे हो। सामने वाले के सामाजिक रुतबे और उम्र को देखते हुए बातचीत का ढंग अपनाएं। कभी भी पहली मुलाक़ात में अपने सामने बैठे व्यक्‍त‍ि के साथ अपनी व्यक्‍त‍िगत बातें न करें कि सामने वाला आपके बारे में उलझन में पड़ जाए। यदि आप उसकी किसी बात से असहमत हैं तो मामला एकदम ख़राब करने की बजाए शालीन ढंग के साथ अपनी बात साबित करने की कोशिश करें। अपनी असहमति इस तरह दर्शाई जा सकती है कि आपकी बात तो सही है परन्तु ………….।  

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