-डॉ. सन्त कुमार टण्डन रसिक

प्रेम-विवाह हो, अरेंज्ड मैरेज हो, अकसर शादी के बाद विच्छेद भले न हो, पर मिठास कम हो जाती है, कड़वाहट भरने लगती है। इससे यही साबित होता है कि शादी के पूर्व और बाद में भी मैरेज काउंसिलिंग की ज़रूरत होती है। इससे विवाह अच्छे और सफल होते हैं, बिगड़ी बातें बन जाती हैं, संबंध मज़बूत बनते हैं। बड़े शहरों में वैवाहिक परामर्शदाता होते हैं, मैरेज वर्कशाप भी चलते हैं। बड़े-बूढ़े अनुभवी लोगों की सलाह भी तो सभी स्थानों पर सुलभ होती है। इनसे अच्छे नतीजे मिलते हैं।

परामर्श और कार्यशाला में शादी के सभी पहलू समझाए जाते हैं। कैसे बनाए जाएं अच्छे संबंध? कैसे उन्हें बिगड़ने न दें या सुधारें? भावी या बन चुके पति-पत्‍नी की समस्याएं सुनी जाती हैं। समझाया जाता है कि कैसे समस्याएं समाप्‍त की जाएं? जोड़ों से अलग-अलग और साथ भी बातचीत की जाती है। ज़रूरी है यह बिना संकोच, बिना डर के, खुली हो। एक दूसरे के प्रति विश्‍वास जगाया जाता है। प्रेम और सम्मान समृद्ध किया जाता है। यौन समस्याओं पर भी खुल कर चर्चा होती है जैसे पारिवारिक मामलों पर।

पति को चाहिए, वह पत्‍नी को अच्छी तरह समझे। समय के अनुसार दृष्‍ट‍िकोण बदले। उसके व्यक्‍त‍ित्व, विचारों, इच्छाओं का सम्मान करे। यह दायित्व पत्‍नी का भी है। एक पर दूसरे को कुछ थोपना नहीं चाहिए। विवाद के बजाये आपसी सदभावपूर्ण चर्चा लाभप्रद होती है। सफल विवाह के लिए कुछ ज़रूरी बातें समझें।

  • लेन-देन, स्वागत-सत्कार को तूल न दें।
  • एक दूसरे के संबंधियों, मित्रों का सम्मान करें।
  • सबसे बड़ा आधार है विश्‍वास। वैवाहिक भवन की यह नींव है। इस पर टिकता है प्रेम।
  • समझदारी बनाएं, एक दूसरे के दृष्‍ट‍िकोण को समझें।
  • अपनी बात के लिए दबाव न बनाएं, प्रेम और तर्क से समझाएं।
  • अपने आप को बदलें। सामन्जस्य बहुत ज़रूरी है।
  • सहयोगी बनें, ग़ुलाम नहीं, दोस्त बनें।
  • एक दूसरे का आदर करें।
  • अच्छा माहौल बनाकर वार्ता, विचार विनिमय करें।
  • अपना दायित्व निर्वाह करें।
  • पारिवारिक ज़िम्मेदारियां समझें।
  • धन को सर्वोपरि न समझें। सब कुछ धन से नहीं मिलता।
  • दूसरे की इच्छा, विचार, कल्पना, स्वप्न को समझें।
  • समस्या, विवाद के कारण को गहराई से पहले समझा करें।
  • जीवन में लोच लाएं।

अब समस्याएं खुद-ब-खुद सुलझ जाएंगी। ज़रूरी हो तो वैवाहिक परामर्श लेने में संकोच न करें, न देर। मिल जाएगी सुखद जीवन की राह।

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