-सुरेन्द्र सिंह चौहान

सूचना क्रान्ति के इस युग में इंटरनेट संस्कृति अपनी जड़ें फैलाती जा रही है लेकिन इसकी उपयोगिता को समझने और अच्छाइयों को अपनाने की बजाय बच्चे और युवा इसके बुरे पक्ष से अधिक प्रभावित हो रहे हैं। ई-मेल और फी-मेल के इर्द-गिर्द बुना हुआ इंटरनेट का यह माया जाल बड़ी तेज़ी से हमारे युवाओं और बच्चों को अपने शिकंजे में जकड़ रहा है। इसलिए ज़रूरी है कि हम इस बात का पता लगाएं कि कहीं हमारे बच्चे तो इस राह पर नहीं चल पड़े। यदि वे अभी तक इस ओर नहीं मुड़े हैं तो आगे भी वे इस दिशा में क़दम नहीं रख सकें ऐसा इंतज़ाम करना होगा। परन्तु यदि वे इस दिशा में मुड़ चुके हैं तो उन्हें इससे बाहर निकालकर सही मार्ग पर लाना पड़ेगा। यूं तो अक्सर बच्चे अपने अभिभावकों की उपस्थिति में ही कम्प्यूटर चलाते हैं और इंटरनेट सर्फिंग करते हैं। इस स्थिति में बच्चों की गतिविधियों पर पूरा नियंत्रण रहता है परन्तु असली चिंता तो उन बच्चों की है जो कम्प्यूटर व इंटरनेट का उपयोग स्वतंत्र रूप से करना जानते हैं और अभिभावकों की अनुपस्थिति में स्वयं कम्प्यूटर पर काम कर लेते हैं।

हरीश एवं उनकी पत्नी दोनों नौकरी पेशा हैं। उनका बच्चा चौदह वर्ष का है और वह बड़े मज़े से कम्प्यूटर तथा इंटरनेट पर काम कर लेता है। मां-बाप दोनों इस बात से काफ़ी खुश थे कि उनकी ग़ैर-मौजूदगी में उनका बेटा घंटों कम्प्यूटर पर काम करता रहता है और दोस्तों के साथ इधर-उधर भटक कर समय ख़राब नहीं करता है। एक दिन जब हरीश रात को कम्प्यूटर पर काम कर रहे थे तो ब्राउज़र की हिस्टरी में कुछ ऐसी वेबसाइट्स के पते पाए जिनका उच्चारण करने में शायद शर्म महसूस हो। तब उन्हें पता चला कि लाडले का कम्प्यूटर-प्रेम इतना अधिक क्यों था।

बच्चों की शिक्षा में सहायता मिलेगी यह सोचकर इंटरनेट कनेक्शन लेने वाले उन अधिकतर अभिभावकों में से हरीश भी एक थे, जिन्हें अब एकाएक लगा कि उन्होंने संभवतया अपने जीवन की सबसे बड़ी भूल कर दी। आज आपका बच्चा इंटरनेट पर अश्लील वेबसाइट्स, अश्लील वार्तालाप, यौन उत्पीड़न, मानसिक शोषण, नशे की लत, लॉटरी और जुआ जैसी बुराइयों का शिकार हो सकता है। यह भी हो सकता है कि वह इन बातों में आपके क्रेडिट कार्ड का उपयोग करके आपको कर्ज़ में डुबो दे।

कैसे मालूम करें आपः- बच्चे इंटरनेट का क्या प्रयोग कर रहें हैं इसका पता कुछ सामान्य बातों से लगाया जा सकता है। यदि बच्चे यह दिए गए दस बिंदुओं में से कोई एक प्रकार का भी व्यवहार करते हैं तो समझ लीजिए कि ख़तरा मंडराने लगा हैः-

. वेब ब्राउज़र की हिस्ट्री से आपको पता चलता है कि वे ऐसी ढेर सारी वेबसाइट्स देखने लगे हैं जिनसे उनका कोई संबंध नहीं है।

. टेलीफ़ोन पर अपने मित्रों से बातचीत करते समय ऐसे लोगों के नाम लेते हैं जो आपके लिए बिल्कुल अजनबी हैं।

. आपके कम्प्यूटर रूम में प्रवेश करते ही मॉनीटर की स्क्रीन की दिशा बदल देते हैं।

. अपनी कम्प्यूटर सी.डी. तथा अपनी फ्लॉपी आपकी नज़रों से छुपाकर रखने लगे हैं।

. आप कम्प्यूटर रूम में जाते हैं तो देखते हैं कि इंटरनेट ऑन है और वेब ब्राउज़र बंद या फिर मिनीमाइज़ किया हुआ है।

. बच्चा देर रात में कम्प्यूटर पर काम करने लगा है तथा ठीक से सो नहीं पाता है।

. कम्प्यूटर को कम्प्यूटर रूम में इस तरह से रखता है कि दरवाज़े से सीधी नज़र मॉनीटर की स्क्रीन पर न पड़े।

. कम्प्यूटर रूम में आपके बार-बार आने से बच्चे के चेहरे पर आत्मविश्वास की बजाय परेशानी या अपराध बोध का भाव झलकता है।

. वह अधिकतर शंकाग्रस्त रहने लगा है तथा उसका व्यवहार बनावटी होता जा रहा है।

. वह नियमित रूप से साइबर कैफे जाने लगा है तथा उसके इंटरनेट इस्तेमाल का समय लगातार बढ़ता जा रहा है। उक्त सभी बातें बच्चों की मानसिकता और व्यवहार पर आधारित हैं और सावधानीपूर्वक ज़रा-सा ध्यान रखने पर आप मालूम कर सकते हैं कि वह सही रास्ते पर है या ग़लत पर। बच्चों को इंटरनेट की बुराइयों से बचाने के लिए ऐसी कई बातें हैं जो देखने में तो छोटी हैं परन्तु बड़ी व्यवहारिक और कारगर हैं। यदि हम इन पर अमल करें तो अपने बच्चों को इंटरनेट के दुष्प्रभाव से बचा सकते हैं।

कैसे लगाएं अंकुशः- बच्चों के इंटरनेट दुरुपयोग को रोकने के लिए निम्न उपायों पर अमल करें। इसका उपयोग केवल ज्ञानवर्द्धन के लिए ही हो सके।

हम उन्हें अपनी उपस्थिति में ही इंटरनेट का उपयोग करने दें। इससे उनकी गतिविधियों पर सीधा नियंत्रण रहेगा।

. कम्प्यूटर को किसी विशिष्ट कमरे में न रखकर घर के किसी ऐसे खुले स्थान पर रखें जहां परिवार के सदस्य अक्सर आते-जाते हैं।

यदि कम्प्यूटर को कम्प्यूटर रूम में ही रखना आवश्यक हो तो मॉनीटर को इस तरह रखें कि दरवाज़े से आपकी निगाह सीधी उसकी स्क्रीन पर जा सके अर्थात् बच्चे का चेहरा दरवाज़े की तरफ़ न होकर उसकी पीठ दरवाज़े की ओर हो ताकि उसे देख लिए जाने का भय सदा बना रहे।

. उसकी कम्प्यूटर सी.डी. व फ्लॉपी की डायरेक्ट्री देखते रहें ताकि उनमें क्या सामग्री है, इसका पता चल सके।

. यदि बच्चा सर्फिंग करने साइबर कैफ़े जाता हो तो उसे किसी प्रतिष्ठित कैफे की सदस्यता दिलवाएं जहां इस तरह की गतिविधियों की मनाही हो।

. बाज़ार में कई तरह के सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं जिनसे आप आपत्तिजनक वेबसाइट्स प्रतिबंधित कर सकते हैं, बच्चों की ऑन लाइन गतिविधियों पर नज़र रख सकते हैं, बच्चा कौन-कौन-सी वेबसाइट देखता है उसका रिकॉर्ड देख सकते हैं ये सब प्राथमिकताएं आप पासवर्ड डालकर सैट कर सकते हैं। साइबर सिटर, नेट नैनी, सर्फ कन्ट्रोल, डिस्क ट्रेसी जैसे सॉफ्टवेयर आसानी से उपलब्ध हैं और आपकी समस्या का समाधान करने में सक्षम भी। अतः इसमें से कोई एक सॉफ्टवेयर इन्सटॉल करके आप बच्चों के इंटरनेट उपयोग को नियंत्रित कर सकते हैं। 

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