संजीव चौहान

आज की नारी के सामने पुरुष से बराबरी का अधिकार, पुरुष प्रधान समाज द्वारा दमनकारी नीतियों का कार्यान्वयन, सम्मान आदि प्रश्न मुंह उठाए खड़े हैं। क्या समाधान है इनका? क्या नारी बिना किसी वाद-विवाद के अपना उचित स्थान क़ायम कर सकती है? यदि इन प्रश्नों का उत्तर ‘हां’ है तो …….

आज के युग में नारी को स्वयं ही युग-प्रवर्तक बनकर आगे आना होगा। नारी सदियों से स्वयं ऐसे उदाहरण पेश करती आई है जिसे समाज अनदेखा नहीं कर सकता। इसलिए अब वक़्त है स्वयं को सार्थक सिद्ध करने का। सार्थकता सिद्ध करने के लिए स्वावलम्बी होना ही प्रथम कार्य है। स्वावलम्बन से ही आत्मसम्मान का उदय होता है। आत्मसम्मान का यहां अर्थ है कि स्वयं को इतना योग्य व सुदृढ़ बनाना जिससे नारी की उपस्थिति को कहीं भी नकारा न जा सके। वे स्वयं को निर्बल व पंगु समझकर पुरुषों पर ज़्यादा निर्भर न करे। यहां कहने का तात्पर्य यह नहीं कि पुरुषों के ख़िलाफ़ विपदा तैयार की जाए अपितु पुरुषों को भली भांति सहयोग दिया जाए। प्रारम्भ में स्वयं को शिक्षा के क्षेत्र में रुचि के साथ परिवारजनों के सहयोग से आगे लाएं। अपनी समस्याओं का स्वयं समाधान करने की कोशिश करें या माता-पिता को उसे सुलझाने में मदद करने के लिए कहें। गृहकार्य से परिचय आपको हर जगह सहायता देगा। आज के परिप्रेक्ष्य में आप स्वयं ही यह सोचकर चलें कि हर कार्य जो पुरुष कर सकता है वह आप क्यों नहीं कर सकतीं। उस कार्य को करने में लगन का परिचय दें। लगन व हौसले की नियमितता बरतने से आप स्वयं को आत्मनिर्भर महसूस करेंगी। “आत्मनिर्भरता से ही जन्म होता है आत्मसम्मान का।” आत्मसम्मान ही समस्त स्त्री जाति के उत्थान का एक मात्र उपाय है। हर नारी को अच्छी शिक्षा, कार्यदक्षता हर संभव जानकारी, बदलती हुई दुनियां के प्रति जागरूकता, कर्त्तव्य निष्ठा इत्यादि बातें ही उसके आत्मसम्मान में उत्तरोत्तर बढ़ौतरी करती हैं। इसलिए हर नारी इन सब का ध्यान रख कर ही स्वयं को हर सम्मान के योग्य बना सकती है।

अतः नारी स्वयं को आत्मनिर्भर, स्वावलम्बी, कर्त्तव्यनिष्ठ, जागरूक बनाकर स्वयं ही प्रत्यक्ष रूप से सम्मान प्राप्त कर सकती है। जोकि आज तक पुरुषों की धरोहर ही बनकर रहा है। इस पुरुष प्रधान समाज को नारी की उपस्थिति का भान इसी प्रकार ही करवाया जा सकता है।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                

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