-सुमन कुमारी

इंसान की ज़िंदगी में उतार-चढ़ाव तो आते ही रहते हैं। ज़रूरत है इस समय खुद पर संयम रखा जाए। वक्‍़त बुरे से बुरे घाव भी देता है परंतु ज़िंदगी से मुख मोड़ना अनुचित है। दु:ख में भी मानसिक संतुलन बनाए रखें। ऐसे अनुभव जीवन को और सुदृढ़ बनाते हैं।

ज़िंदगी सुख व दु:ख का सुमेल है। दु:ख के क्षणों में अक्‍सर लोग हिम्मत हार जाते हैं। परन्तु इस समय खुद पर संयम रखना बहुत ज़रूरी होता है। क्योंकि कोई भी काम यदि दृढ़ निश्‍चय से किया जाए तो वो अवश्य ही पूरा होता है। हिम्मत और हौसला हर दु:खी क्षण के प्रभाव को कम करता है। खुद पर विश्‍वास रखें कि आप मंज़िल तक कभी न कभी ज़रूर पहुंच जाओगे। हिम्मत टूट जाने से जीवन का लक्ष्य आप भूल सकते हैं। परन्तु इस बात का स्मरण रहे कि जीवन कभी भी सामान्य नहीं होता। टेढ़े-मेढ़े रास्ते तो हर डगर पर होते हैं। उसी भांति जीवन में भी कुछ मायूसी वाले पल आते हैं। जिनका सामना करना चाहिए। मुसीबत कितनी भी बड़ी क्यों न हो, उसे सुलझाने का प्रयत्‍न करते रहें। हर वर्ग की अपनी परेशानियां व दु:ख होते हैं। युवा अवस्था में अक्‍सर लड़के-लड़कियां प्रेम-संबंधों में उलझ कर जीवन को बेकार मानने लगते हैं। उनकी सोच नकारात्मक हो जाती है। ऐसी सामान्य घटनाओं को समय के साथ भूल जाना ही बेहतर होता है। ज़िंदगी अनमोल है। इसमें उतार-चढ़ाव तो आते ही रहते हैं। इसलिए एक बात को लेकर पूरा जीवन बेकार करना मूर्खता है। ऐसी ही स्थिति उन लोगों के सामने आती है जो बीमारी, दुर्घटना, हादसा हो जाने पर अपनी सोच नकारात्मक बना लेते हैं। सुख के क्षणों में ही अपने आप को तैयार कर लेना चाहिए। ज़िंदगी में अचानक बहुत कुछ घटित हो जाता है। इसके लिए खुद को सामान्य दिनों में ही तैयार करना चाहिए। समय के साथ सारे बड़े-बड़े घाव भी भर जाते हैं। खुद पर संयम रखें व दूसरों को भी ढाढ़स बंधाएं। जब हिम्मत और हौसला टूट जाता है, तब सारे रास्ते बंद हो जाते हैं। भगवान् पर विश्‍वास रखें और कार्य करते जाएं। मंज़िल व लक्ष्य ज़रूर मिल जाते हैं। यदि आप ये सोच कर बैठ जाएं कि खुद-ब-खुद सब ठीक हो जाएगा तो ये आपकी बहुत बड़ी भूल होगी, जिस कारण ज़िंदगी हमेशा अंधेरी ही रहेगी। उजाला लाने का प्रयत्‍न तो खुद को करना होता है। कई बार दिल टूटता है, पर मनोबल बनाए रखने के लिए ऐसे लोगों से मिलें जो आपका हौसला बढ़ाते रहें। ऐसे लोगों की संगत न करें जो आपका दृढ़-विश्‍वास कमज़ोर करें। खुद पर यक़ीन रखें। अपने फ़ैसले को अंतिम रूप देने का साहस रखें। निराश होकर कभी भी कोई ग़लत क़दम ना उठाएं, कई बार लोग इतने मायूस हो जाते हैं कि आत्महत्या को ही एकमात्र विकल्प मानते हैं, ये कदापि उचित नहीं। कोई भी इंसान इस चक्र से वंचित नहीं। ये चक्र बीमारी, दुर्घटना, हादसा सदियों से चलता आया है व रहेगा। इससे सामना करने की सोच बनानी चाहिए। पीछा छुड़ाकर भागना अनुचित है। मनुष्य के साथ और कई ज़िंदगियां जुड़ी होती हैं। सिर्फ़ खुद के बारे में निर्णय करके, अक्सर लोग दूसरों को कष्‍ट पहुंचाते हैं।

विवाह यदि खुशी लाते हैं तो तलाक़ दु:ख। ऐसा होना आप पर निर्भर है। हमेशा साकारात्मक सोच अपनाएं। यदि जीवन में ऐसा कोई मोड़ आ भी जाए तो उसका सामना करें। कठिन परिस्थितियों से जूझने की क्षमता विकसित करें। लक्ष्य को सामने रख कर ही चलें। हर इंसान में कोई न कोई कमी ज़रूर होती है। जो लोग खुद इनको खोज कर दूर करने का प्रयत्‍न करते रहते हैं वो कभी जीवन में असफल नहीं होते। संकट के समय आत्मविश्‍वास बनाए रखना बहुत ज़रूरी है। जीवन में दु:ख व सुख दोनों होते हैं। ज़रूरत है इस बात को समझने की।

 

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