-लीना कपूर

‘क्या बताऊं? जब से बाबू जी रिटायर होकर घर आए हैं, हर काम में दखलअंदाज़ी करते रहते हैं।’
‘मेरे ससुर को तो बस एक ही काम है। बिस्तर पर लेटे-लेटे हर वक़्त सिगरेट से धुएं के छल्ले उड़ाते रहना।’
‘पिता जी, कभी बाहर भी घूम-फिर लिया करें। हर वक़्त टी.वी. के सामने बैठे रहना ठीक नहीं।’

किसी न किसी रूप में ऐसे वाक्य अक्सर उन बुज़ुर्गों को सुनने पड़ सकते हैं। जो खुद को बूढ़ा मानकर घर में समय काटने को अपनी वृद्धावस्था बिताने की सोच लेते हैं।

व्यवसायी वृद्ध तो अंत तक अपने व्यवसाय में जुटे रहते हैं, लेकिन नौकरी से रिटायर हुए वृद्धों के सामने वक़्त गुज़ारना एक बड़ी समस्या बन जाती है।

यह भी स्वाभाविक है कि वृद्ध सोचता है कि उसने सारी उम्र अपने परिवार के लिए बिता दी, अब उसका परिवार उसकी देख-रेख करे, किन्तु आज के संस्कार विहीन, स्वार्थ परित तथा महंगे युग में ऐसा संभव नहीं रहा।
वृद्धावस्था में ज़रूरी है कि तन-मन को चुस्त तथा गतिशील रखा जाए। आयु के इस दौर में अनेक तरीक़ों से समय का सदुपयोग किया जा सकता है।

अध्ययन एक उच्च कोटि की सुरुचि है। पुस्तकें पढ़ना आपके ज्ञान में वृद्धि करता ही है। आपके जीवन के प्रति दृष्टिकोण में भी परिवर्तन करता है। विविध विषयों पर उपलब्ध पुस्तकों से जहां आपका मनोरंजन होगा, वहीं आत्मिक संतुष्‍टि भी मिलेगी। पुस्तकें ख़रीदना संभव न हो तो किसी पुस्तकालय की सदस्यता ली जा सकती है।

बागवानी भी एक अच्छा शौक़ है। लोग व्यवस्तता की वजह से अपना यह शौक़ पूरा नहीं कर पाते, लेकिन रिटायरमैंट के बाद वृद्धावस्था में इसके लिए समय ही समय है। फल-फूलों व अन्य पेड़-पौधों को लगाकर आप पर्यावरण के मित्र तो साबित होंगे ही, खिले पेड़-पौधों की महकती बगिया में आप खुद को स्वस्थ एवं प्रफुल्लित करेंगे।

वर्तमान समय में जनता का रुझान बचत की तरफ़ काफ़ी बढ़ा है। विभिन्न सरकारी या अर्धसरकारी बचत योजनाओं में जनता अपना धन जमा करवाकर दूरदर्शिता का परिचय देती है। आप जीवन बीमा, यू.टी.आई. तथा डाक विभाग की विभिन्न बचत योजनाओं के अभिकर्त्ता (एजेंट) के रूप में जन सामान्य को प्रेरित करते हुए खुद अच्छी आय प्राप्‍त कर सकते हैं।

हर इंसान अपने भीतर कोई कलात्मक अभिरुचि पाले होता है। आप भी अपने भीतर की इस रुचि को बाहर निकालें। ड्राइंग-पेंटिंग में रुचि है तो उसे अपना लें। संगीत में शौक़ है तो संगीत साधना भी की जा सकती है।

यदि आपके पास उचित स्थान, सुविधा है तो छोटे बच्चों, शिशुओं के लिए क्रैच चला सकते हैं। बच्चों की चंचलता, बाल सुलभता, उनकी भोली हरकतें व प्यारा संग आपको बेहद भाएगा। बच्चे आपके स्नेह का नि:स्वार्थ भाव से प्रतिवेदन देंगे।

आजकल विभिन्न कक्षाओं के लिए ट्यूशन तथा विविध कोर्सों हेतु कोचिंग का प्रचलन ज़ोरों पर है। आप भी यदि योग्यता तथा सामर्थ्य रखते हैं तो छात्र-छात्राओं को ट्यूशन तथा कोचिंग प्रदान कर सकते हैं। शौक़ की कोई उम्र नहीं होती।

मुक्‍त शिक्षा प्रणाली के ज़रिए आप अपनी पसंद का शैक्षणिक अथवा रुचि संबंधी कोर्स घर बैठे कर सकते हैं। किसी भी कला-कौशल का प्रशिक्षण प्राप्‍त कर सकते हैं।

उपरोक्‍त में से किसी भी तरीक़े को अपनाने के बाद आपके मुख पर गौरव तथा आत्मसंतुष्‍टि के भाव ज़रूर होंगे, पर कहीं भी बुढ़ापे की लाचारी नहीं होगी।

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