-अनीता चमोली ‘अनु’

अन्या पढ़ने लिखने में होशियार थी। वो हर वर्ष कक्षा में प्रथम आती। सभी शिक्षक अन्या की होशियारी पर गर्व करते। इस वर्ष तो अन्या ने स्कूल में सबसे ज़्यादा अंक लाकर रिकॉर्ड ही बना डाला। उसकी फ़ोटो अख़बार में छपी। अन्या बेहद खुश थी। अन्या को लगा कि वो स्कूल में सबसे अलग है। सभी शिक्षक और छात्र-छात्राएं उसे सम्मान देते हैं। अन्या का स्वभाव स्वाभिमान से घमंड की ओर बढ़ने लगा। एक दिन की बात है। आधी छुट्टी का समय था। अन्या अपने सहपाठियों के साथ बैठी हुई थी। किसी ने कहा- “इस बार कोर्स ज़्यादा कठिन है। हमें मिलकर परीक्षा की तैयारी करनी चाहिए।”

अन्या तपाक से बोल पड़ी- “मुझे परवाह नहीं है। मैं हमेशा अपने बलबूते पर फ़र्स्ट आती हूं। मैंने जो कुछ भी पाया है वो अपने ही दम पर पाया है। मैं तुम्हारे साथ मिलकर परीक्षा की तैयारी नहीं कर सकती।”

राधिका बोली- “अन्या तुम होशियार हो। मगर इसका मतलब ये नहीं कि तुम सबसे होशियार हो। एक दूसरे की मदद करना अच्छा काम है। हमें एक-दूसरे के सहारे की ज़रूरत तो पड़ती ही है।” अन्या चिढ़ गई। वो राधिका से बोली- “तुम मुझसे चिढ़ती हो। तुम्हारे नंबर मुझसे कम ही आते हैं। याद रखना मेरी बराबरी की कोशिश मत करना। हमेशा की तरह इस बार भी मैं ही फ़र्स्ट आऊंगी।” यह कह कर अन्या चली गई।

राधिका के साथ-साथ सभी को अन्या का ये व्यवहार अच्छा नहीं लगा। सुमित बोला, “अन्या घमंडी हो गई है। उसे लगता है कि स्कूल में वो ही सबकी चहेती है।” राधिका बोली, “वो हमारी अच्छी दोस्त है। अगर वो ग़लत राह पर चलती है तो उसे रोकना चाहिए। हम सब मिलकर परीक्षा की तैयारी करेंगे। आज से अन्या को नज़रअंदाज़ करना शुरू कर दो। हम तो इसका आदर करते हैं और ये खुद को ख़ास समझने लगी है।”

कक्षा के सभी छात्र-छात्राओं ने अन्या को नज़रअंदाज़ करना शुरू कर दिया। अन्या, शोभा और अमित एक साथ स्कूल आते थे। शोभा और अमित ने अन्या का साथ छोड़ दिया। अन्या शोभा से बोली, “तुम घर से चलते हुए मुझे आवाज़ भी नहीं लगाती। मैं तुम्हारा इंतज़ार करती रहती हूं।”

शोभा ने लापरवाही से जवाब दिया, “मैं ज़रूरी नहीं समझती कि तुम्हें आवाज़ लगाऊं। अमित और मैं साथ-साथ आ जाते हैं। वैसे भी तुम कोई छोटी बच्ची तो हो नहीं कि तुम्हें किसी के साथ की ज़रूरत हो।” ये कहकर शोभा राधिका के पास चली गई। जल्दबाज़ी में अन्या पेंसिल लाना भूल गई। मैडम संगीता कुछ लिखा रही थी। अन्या ने बग़ल में बैठी आरती से कहा कि वो उसे पेंसिल दे दे। मगर आरती ने पेंसिल देने से मना कर दिया। मैडम ने अन्या को ख़ाली हाथ बैठे देखा तो उसे स्टूल पर खड़ा कर दिया। आधी छुट्टी हुई तो शोभा, आरती, राधिका और अमित खाना खाने लगे। अन्या भी वहां आ गई। मगर किसी ने उसे बैठने तक के लिए नहीं कहा। अन्या फिर भी बैठ गई। सब मिलजुल कर एक-दूसरे के साथ बांट कर खाना खा रहे थे। अन्या ने अपने टिफ़िन से आचार निकाला और सबको देने लगी तो सबने लेने से मना कर दिया। अमित बोला, “हमें तुम्हारे सहारे की ज़रूरत नहीं है । तुम अपना खाना अकेले ही खाओ।” सब एक साथ उठ कर मैदान के किनारे जाकर बैठ गए।

अन्या परेशान हो गई। वो कक्षा में अलग-थलग पड़ गई। हर कोई उससे बात करने से क़तराने लगा था। वो जहां भी जाती पहले से बैठे हुए उसके सहपाठी उठकर चले जाते। उसके सहपाठी हंसी-ठिठोली कर रहे होते और अन्या वहां पहुंच जाती तो सब मौन धारण कर लेते। अन्या खुद को ठगा-सा महसूस करने लगी। उसका मन पढ़ाई से हट गया। वो उदास रहने लगी। छमाही परीक्षा आ गई। सबने परीक्षा दी। परिणाम चौंकाने वाला आया। राधिका को सबसे अधिक नंबर मिले। अमित, सुमित, आरती और शोभा के नंबर भी अन्या से ज़्यादा आए। क्लास टीचर ने पूछा- “अन्या क्या हो गया तुम्हें, तुम तो पिछड़ती जा रही हो। तुम्हारा ध्यान पढ़ाई में नहीं है।”

अन्या चुप रही। उसे कुछ सूझ ही नहीं रहा था। छुट्टी हुई। सभी सहपाठी कक्षा से बाहर निकल रहे थे। अन्या ने राधिका को आवाज़ लगाई। अमित, शोभा, आरती और सुमित भी रुक गए। अन्या ने राधिका की ओर हाथ बढ़ाते हुए कहा- “सबसे ज़्यादा नंबर लाने के लिए तुम्हें बधाई देती हूं। मैं तुम सभी लोगों से माफ़ी मांगती हूं। मैं ग़लत थी। मदद करना और दूसरों को सहारा देना ही सहयोग है। तुम सबने मिलकर मेहनत की और परिणाम सबके सामने हैं। आज मैं अच्छी तरह जान चुकी हूं कि एकजुटता से एक दिशा में काम करने से सफलता ज़रूर मिलती है। मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूं। मुझे अपनी टीम में शामिल कर लो। मुझे सबकी ज़रूरत है। मैं भी मिलजुल कर पढ़ाई करना चाहती हूं।” इतना कहकर अन्या रोने लगी।

राधिका ने अन्या को गले लगा लिया। सभी सहपाठियों ने अन्या को घेर लिया। राधिका ने कहा- “अरे तुम तो बच्चों की तरह रोने लगी। तुम इस स्कूल की शान हो। बस हम तो इतना चाहते थे कि तुम सबकी सहयोगी बनो। अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता। हम तो बस ये अहसास कराना चाहते थे। हमें पूरा विश्वास है कि तुम सालाना परीक्षा के लिए खूब तैयारी करोगी। हमें हमारी अन्या वापिस मिल गई है। इस खुशी में हम सब साथ-साथ घर जाएंगे और कल से साथ-साथ स्कूल आया करेंगे।” सब हिप-हिप हुर्रे करते हुए अपने-अपने घर जाने लगे।

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