किसी महिला पुलिस अधिकारी की उपस्थिति में ही किसी महिला की गिरफ्‍़तारी एवं तालाशी की जा सकती है। पूछताछ के लिए भी यही नियम लागू होता है। किसी भी महिला को सूर्यास्त के बाद पुलिस न तो थाने में तलब कर सकती है और न ही गिरफ्‍़तार कर सकती है।

भारतीय दंड विधि 509 और 354 के अन्तर्गत महिलाओं के साथ छेड़खानी करना या गन्दे शब्दों का इस्तेमाल करना, घूर कर देखना अथवा शरीर के किसी अंग के साथ छेड़-छाड़ करना कानूनन अपराध है। इसके लिए आप भारतीय दंड विधान धारा 509 और धारा 354 के अन्तर्गत मामला दर्ज़ करवा सकती हैं।

अगर आप अपने बच्चे का नैचुरल संरक्षक बनना चाहें तो आपको कानूनन हक़ है चाहे आपके पति ज़िंदा क्यों न हों। इसके लिए आप किसी कानूनी काग़ज़ पर हस्ताक्षर करवा कर बच्चे को साथ रख सकती हैं।

अगर आपके पति या कोई भी रिश्तेदार आपको अपने ससुराल से निकाल देते हैं तो आप ‘स्पेशल रिलीफ़ कानून’ के अनुसार दुबारा घर में दाख़िल हो सकती हैं।

यदि आपके पति आप पर किसी भी प्रकार का अत्याचार या मारपीट करते हैं अथवा आपको छोड़कर किसी दूसरी महिला के साथ संबंध बनाते हैं तो आप इन घटनाओं का विवरण लेकर उनसे तलाक ले सकती हैं।

आप अपने बचाव के लिए किसी को मारती हैं और वह आदमी मर जाता है तो आप पर हत्या का इल्‍ज़ाम नहीं लग सकता क्योंकि कानून आपको अपने बचाव का पूरा अधिकार देता है।

विवाह के समय और उसके बाद आपके माता-पिता, भाई-बहन आपको जो कुछ भी देते हैं वह ‘स्त्रीधन’ माना जाता है। आपके पास पूरा अधिकार है कि आप ‘स्त्रीधन’ का किसी भी तरह व्यवहार कर सकती हैं। अगर आपका ‘स्त्रीधन’ आप से कोई ले लेता है तो उसकी वापसी के लिए आप धारा 406 में मामला दर्ज़ करवा सकती हैं।

अगर आप विवाह के बाद पति के साथ न सोना चाहें और न ही तलाक लेना चाहें तो भी आप न्यायालय में ‘जुडिशियल सेपरेशन’ ले सकती हैं। इसके अन्तर्गत यदि आपके पति आपके साथ सहवास करें तो उस पर बलात्कार का इल्‍ज़ाम (धारा 376 ए. आई. पी. सी.) दर्ज़ हो जाएगा।

यदि आप वकील की फ़ीस देने में सक्षम नहीं हैं तो आपको सरकार की तरफ़ से नि:शुल्क वकील की सहायता प्राप्‍त हो सकती है।

प्रसूति के समय आपको 135 दिन छुट्टी का अधिकार है और छुट्टी के बाद आपको कोई भी कठिन कार्य करने को नहीं दिया जा सकता जिससे आपके शरीर को कोई हानि पहुंचे।

आप की इजाज़त के बग़ैर आपके बच्चे का लिंग नहीं जाना जा सकता। इसी प्रकार गर्भपात भी नहीं किया जा सकता।

आप कहीं भी काम करती हों, वेतन में मर्द और स्त्री का फ़र्क़ नहीं रखा जा सकता। अगर आप भी मर्द जितना काम करती हैं तो आपको भी उतना ही वेतन मिलेगा।

किसी भी प्रकार के दहेज़ की मांग करना, लेना या देना कानूनन अपराध है। इसके लिए 5 साल की सज़ा हो सकती है।

हिन्दू स्त्री के पास पूर्वजों और पिता की सम्पत्ति पर बराबर अधिकार है। आप वह सम्पत्ति ख़रीद एवं बिक्री भी कर सकती हैं।

कोई भी विधवा अपने घर चलाने के ख़र्च का दावा अपने श्‍वसुर, बेटा, बेटी से कर सकती हैं।

हर हिन्दू स्त्री तलाक के बाद भी आजीवन अपने पति से घर ख़र्च के लिए पैसा मांग सकती है।

हर स्त्री को अपनी इन्कम टैक्स फ़ाइल अलग रखनी चाहिए। इससे पारिवारिक सम्पत्ति पाने में सुविधा पा सकती है।

किसी भी क़िस्म का मानसिक या शारीरिक कष्‍ट प्राप्‍त होने पर आप अपने पति या उनके परिवार के विरुद्ध धारा 498 ए में मामला दर्ज़ करा सकती हैं।

(उर्वशी)

One comment

  1. kulvinder kaur gill

    very usefull topics and laws are explained ,thanks for this valuable information

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