-डॉ. अंजना

एकलव्य, ध्रुव, अभिमन्यु जैसे सक्षम, वीर नवयुवाओं को जन्म देने वाली भारत भूमि में अगर आज युवाओं के अस्तित्त्व पर प्रश्नचिन्ह लगाकर हम उनकेे सामर्थ्य को प्रश्नभरी निगाहों से देखते हैं तो यह सचमुच चिंता का विषय है। इस तथ्य को हमें निर्विवाद रूप से स्वीकार करना होगा कि आज का युवा ही देश का भावी नेता और कर्णधार है, देश की उन्नति और विकास का सम्पूर्ण दायित्व उसके कंधों पर आने वाला है। अपने जीवन में सत्य की सुगंध, त्याग की महक और उत्सर्ग की उमंग से उसने अपने देश को सबल, स्वावलम्बी और उन्नत बनाना है। जहां तक मेरा विचार है आज के युवा वर्ग में जितनी ऊर्जा और सजगता है यदि उसको सही दिशा में प्रयुक्त किया जाए तो निःसंदेह उनके हाथों में हमारा देश सुरक्षित है। आज हमारी युवा पीढ़ी अगर किन्हीं कारणों से दिग्भ्रमित है हमें उन कारणों को ढूंढना होगा और उन्हें सही दिशा-निर्देश देना होगा।

आजकल यह सामान्य चर्चा का विषय है कि सामाजिक एवं नैतिक मूल्यों का विघटन हो रहा है और हमारा युवा वर्ग इन सामाजिक एवं नैतिक मूल्यों के विघटन का सबसे बड़ा शिकार है। आधुनिक सुविधाओं की प्राप्ति की अंधाधुंध दौड़ में आजकल के माता-पिता के पास इतना समय ही कहां कि वह युवा होते बच्चों को संस्कार दे सकें। उन्हें सामाजिक एवं नैतिक मूल्यों की शिक्षा दे सकें। वो तो कभी अपनी नौकरी में व्यस्त हैं, कभी किट्टी पार्टी में और कभी क्लॅॅब मीटिंग में।

आज का युवा वर्ग जब समाज में चतुर्दिक् व्याप्त भ्रष्टाचार, घूसखोरी, सिफ़ारिशबाज़ी, भाई-भतीजावाद, चीज़ों में मिलावट, फ़ैशनपरस्ती, विलासिता, भोगवादी संस्कृति और हर स्तर पर व्याप्त अनैतिकता को देखता है तो उसका भावुक युवा मन क्षुब्ध हो जाता है, विद्रोह कर उठता है, उसके सामने आदर्शों के बारे में की गई बड़ी-बड़ी बातें अपना अर्थ खो देती हैं। इक्कीसवीं शताब्दी के युवा को दिशा भटकाने में आज के मीडिया ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी है। नशीली वस्तुओं के आकर्षक विज्ञापन, विभिन्न चैनलों पर दिखाए जाने वाले अश्लील म्यूज़िक एलबमों के माध्यम से भी उनके कोमल मन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। चरित्र निर्माण और कैरियर बनाने के महत्वपूर्ण समय में उनका ध्यान ग़लत बातों की ओर लग जाता है। कम्प्यूटर के इस युग में युवा वर्ग के संदर्भ में इंटरनेेट का दुष्प्रभाव भी आज किसी से छुपा नहीं है। इंटरनेेट पर ग़लत साइट देखकर युवा वर्ग अपना भविष्य धूमिल करने में लगा है और रही-सही कसर मोबाइल पर उपलब्ध अत्याधुनिक सुविधाओं ने पूरी कर दी है।

शिक्षा जगत से जुड़े होने के कारण युवाओं के बीच में रहने का और उन्हें समझाने का मौक़ा मुझे मिलता रहता है लेकिन मेरा यही विश्वास है कि सारा दोष युवाओं के मत्थे पर मढ़ने से कुछ नहीं होगा बल्कि युवाओं की ऊर्जा और सामर्थ्य को सही दिशा की ओर अग्रसर करना और उनकी सजगता को सही दृष्टिकोण देना होगा ताकि वे अपना भला-बुरा भली भांति जान सकें और हमारे देश का भविष्य उनके हाथों में उज्जवल रहे। युवाओं को ही केवल दोषी ठहरा कर हम अपनी ज़िम्मेदारियों से मुंह नहीं मोड़ सकते, अगर आज हम अपनी युवा पीढ़ी को दिशाहीन कहने में जुटे हैं तो पहले हमें अपने भीतर पूरी तरह से झांक लेना होगा कि ग़लती कहीं हमारी ही तो नहीं।

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