-गोपाल शर्मा फिरोज़पुरी

पंजाब के दक्षिण पूर्व नगर पटियाला की राजनीतिक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत सारे संसार में प्रसिद्ध है। जाट सिख बाबा आला सिंह द्वारा बसाया यह शहर आधुनिक समय का अति रमणीय शहर है। जिसकी जनसंख्या पंजाब के चौथे नम्बर पर है। राजाओं और रजवाड़ा शाही की छटा बिखेरता यह शहर अपनी सांस्कृतिक विरासत पैग, पगड़ी, पटियाला सलवार, पटियाला परांदा, पटियाला जूती और रेशमी नालों के लिये दुनिया में आकर्षण का केन्द्र रहा है। पटियाला पोशाक में स्त्रियां कढ़ाई वाला कुर्ता, पटियाला सलवार, पटियाला जूती के साथ अपने बालों में हरेे-नीले काले और लाल रंग का परांदा लगाती थी। पटियाला सलवार में इतनी सिलवटों द्वारा सिलाई की जाती थी कि साधारण सलवार के मुक़ाबले में इसे सिलवाने में अधिक कपड़ा लगता है।

अब मॉडरन युग में अंग्रेज़ी सभ्यता का प्रभाव इस नगर पर भी पड़ा है। आधुनिकता की दौड़ में कुछ स्त्रियों ने बाल कटवा लिये है, ब्यॉय कट फै़शन के कारण यह परांदा कहां लगायें। कुछ महिलायें बाल बढ़ाकर आगे दो शाखाओं में बाल वक्ष तक लहरा देती हैं, परांदा गुम हो गया है। सलवार के स्थान पर जीन और पैंट, कैपरी निक्कर, शॉर्ट पैंट, ट्र्राउज़र पहनने का फै़शन चल पड़ा है। इसी प्रकार कढ़़ाई वाले कुर्ते के स्थान पर शॉर्ट कमीज़ और लड़कों वाली कमीज़ पहनने का शौक बढ़ गया है। लड़के और लड़की की पहचान गुम हो गई है।

पटियाला की पगड़ी और जूती की बड़ी तीखी चर्चा थी। अब ज़्यादातर पगड़ी और जूती भंगड़े का सिंगार बेशक बने मगर इसका रिवाज़ भी धूमल हो रहा है। गिद्धा भंगड़ा को छोड़कर, क्लबों, होटलों और रिज़ॉर्टों में अंग्रेज़ी डांस का बोलबाला है। रेशमी नालों के स्थान पर प्लास्टिक सलवारों में प्रयुक्त होने लगी है। पटियाले के चूड़ी बाज़ार, परांदा बाज़ार और जम्पर कुर्ता की दुकानों में मन्दा पड़ गया है, और व्यापारी वर्ग पुुराना धंधा छोड़ कर रोज़ी रोटी के लिये कोई अन्य विकल्प ढूंढ़ने लगे हैं। आधुनिकता में क़दम रखना बुरी बात नहीं हैं परन्तु अपनी पुरानी विरासत को तिलांजलि दे देना या नकार देना उचित नहीं है। साग सरसों, मक्खन और मकई की रोटी को छोड़कर जंक-फूड और चटपटा भोजन कदापि लाभदायक नहीं हो सकता। स्वतंत्रता का जीवन जीना हमारा अधिकार है। परन्तु पुरानी परम्परा को बचाना भी हमारा कर्त्तव्य है। इसलिए हमें चाहिये पटियाला पगड़ी-जूती, सलवार, परांदा और चूड़ी को दिल में संजोए रखें। बाज़ार की मन्दी को उभारें और अपनी पुरानी धरोहर को ज़िन्दा रखें।