डॉ अंजना कुमारी

हरिवंश राय बच्चन

कल मुरझाने वाली कलियां हंस कर कहती हैं मग्न रहो, बुलबुल तरु की फुनगी पर से संदेश सुनाती यौवन का तुम देकर मदिरा के प्याले मेरा मन बहला देती हो

Read More »