धर्मपाल साहिल

लिख दो

तुम्हारे नाम लिख दिए हैं वे खूबसूरत नज़ारे भी जो अभी देखने बाक़ी हैं उन फूलों की खुशबू भी जो अभी खिलने बाक़ी हैं उन झरनों की झंकार भी

Read More »

रुख़सत

उसे रुख़सत करके लौटा तो आंगन के फूल हो चुके थे बदरंग हवा थी बोझिल तस्वीरें उदास

Read More »

कैसी-कैसी नैतिकता

प्रत्येक पीढ़ी कुछ परम्परागत मूल्यों को स्वीकार कर लेती है। किसी को व्यर्थ कह कर नकार देती है। वह अपने से पहली पीढ़ी को परम्परागत तथा दक़ियानूसी कह देती है और स्वयं को आधुनिक की श्रेणी में मानती है।

Read More »

नव वर्ष मुबारक

नव वर्ष की पहली किरण चूमे जब धरती का शबाब उड़ जाए दुःखों की ओस महक उठें खुशियों के गुलाब मचल उठे हर कली का दिल भंवरा गाए कोई ऐसा राग थम जाए नफ़रत की आंधी टिम-टिमाएं मुहब्बत के चिराग

Read More »

तुम्हीं तो हो

तुम्हीं तो हो जिसे मिल कर लगा मिलना चाहता था जिसे मैं पिछले कई जन्मों से तुम्हीं तो हो जिसे देख कर आंखों में जगमगाये असंख्य तारे लगा बिना देखे ही देख ली सारी दुनियां

Read More »

आ जाओ

मैंने हवाओं, घटाओं खुश्बुओं, शुआओं आंसुओं, दुआओं के हाथ कितने ही ख़त भेजे हैं तुम्हें शाम ढले भी दमों की दहलीज़ पर बैठा समय के डाकिए के हाथों तेरे जवाब का इन्तज़ार कर रहा हूं।

Read More »

हर बार नहीं

तुम तो चाहते हो कि तुम मेरे जज़बातों से बलात्कार करो और मैं हर बार अपने वजूद के टुकड़ों को समेट कर पुनः तुम्हारे कदमों में फूलों की तरह विछ जाऊं

Read More »

इस बार दीवाली पर

इस बार दीवाली पर हसरतों की ख़ाक आंसुओं में गूंथ मन के चाक पर चढ़ा आहों की भट्टी में तपा दिल के दिये बनाएंगे विश्वास के तेल में भिगो कर प्रेम की बाती

Read More »

सुन्दरता बिकती है, बोलो ख़रीदोगे

आज सुन्दरता के अर्थ ही बदल गये हैं। सुन्दरता अब अन्य बिकाऊ वस्तुओं की तरह बाज़ारी वस्तु बनकर रह गई है, सौंदर्य का व्यापारीकरण हो गया है। प्राकृतिक सुन्दरता वाली बातें अब बीते ज़माने के क़िस्से बनकर रह गए हैं।

Read More »