राजेेन्दर परदेेसी

गृहस्थी

मैं चिन्ता में गहरे समा रहा था कि पत्नी बोल पड़ी, “सोच क्या रहे हो? उसे कोई पूछता भी था? कितनों को तो तुम दिखा चुके थे। कोई उसे छापने को तैयार था?”

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