ब्रिटेन में 160 दम्पतियों पर शोध किया गया, यह जानने की कोशिश की गई कि कुछ समय बाद पति-पत्नी एक-दूसरे का प्रतिबिम्ब क्यूं लगने लगते हैं।
कुछ पुरुष और महिला जजों को इन लोगों के चित्र दिए गये और यह नहीं बताया गया कि कौन किसका पति या पत्नी है। इन जजों ने उनके चेहरे के हाव भावों से अनुमान लगा कर इनको सही क्रम में लगा दिया।
शोधकर्त्ताओं का अनुमान है कि दम्पतियों द्वारा लम्बे समय तक अपने-अपने अनुभवों को बांटने से भी एक-दूसरे की सोच प्रभावित होती है और वही व्यवहारगत समानता का रूप ले लेता है।
जो दम्पति जितने अधिक समय तक एक दूसरे के साथ रहे उनका व्यवहार, जीवनशैली और विभिन्न स्थितियों में प्रतिक्रिया करने का अंदाज़ भी बहुत हद तक मेल खाता है। इस प्रकार लम्बा समय इकट्ठा रहने के बाद पति-पत्नी भी भाई-बहन से लगने लगते हैं।