महिला प्रकरण

नारी फूल भी चिंगारी भी

नारी का नारीत्व उसका परम् सौंदर्य है और उसका यह सौंदर्य अपनी शक्तिरूपी सुरभि से संपूर्ण विश्व को प्रकाशित करता है। यदि उसकी शक्ति सुरभि को शक्तिविहीन करने की कोशिश की गई तो न केवल भारत को अपितु संपूर्ण विश्व को इसका अच्छा ख़ासा खामियाज़ा भुगतना ही पड़ेगा।

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रुको मधुमास

जूं-जूं बूंदे परे, जिया लरज़े/छतियां मोरी तकरार करें। उदास आंगन में नीम तले, खटिया पे बैठ, प्रिय को संदेश लिखने बैठती है पर मन है कि अधजल गगरी-सा छलक-छलक पड़ता है- पत्तिया मैं कैसे लिखूं/लिखयो न जाय क़लम गहे मोरे, कर कांपत हैं, सखी! नयन रहे झरलाय।

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क्या बनाऊं जी

हर रोज़ एक ही तरह की सब्ज़ी खाना...? पूछो तो कहेंगे "जो मर्ज़ी हो बना लो।" इस तरह की समस्या साहिला को ही नहीं, हर गृहिणी को होती है। ऐसी कौन-सी सब्ज़ी है जो घर-परिवार के सभी सदस्य खुशी-खुशी खा सकें।

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स्वाधीन देश की स्वाधीन नारियां

मेरा लक्ष्य नारी शोषण के विविध आयाम प्रस्तुत करना नहीं है। उस पर तो यदि नाम सहित प्रमाणिक लेखन हो, तब भी अनेक पुस्तकें बन जाएंगी। यहां मेरा लक्ष्य बहुत सीमित है। मैं आज के परिदृश्य में शिक्षित महिलाओं की दशा प्रस्तुत करना चाहती हूं, जहां विसंगतियां अलग-अलग रूपों में व्याप्त हैं।

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महिलाओं की भी यशस्वी परम्परा रही है

यह सत्य है कि नारी की प्रतिभा, क्षमता, योग्यता, पुरुष की प्रतिभा, क्षमता, योग्यता से मिलकर अनन्तगुनी प्रभावशाली हो जाती है। इतिहास से अगर नारी की भूमिका हटा दी जाए तो उसका स्वरूप ही बदल जाता है।

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स्त्रियां व्रत क्यों रखतीं हैं?

कई बार तो किसी व्रत को महिलाएं अन्य को देखकर पीढ़ी-दर-पीढ़ी करती आ रही हैं। यह व्रत क्यों और किसके लिए किया जाता है, उन्हें यह भी नहीं मालूम होता। वैसे हमारे यहां व्रत के नियम भी लोचदार बनाने का नियम है। जैसे ज़्यादा प्यास लगने की स्थिति में घुटने के बल बैठकर पानी पिया जा सकता है।

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ब्रह्मा की कृति नारी

नारी प्रकृति की अनुपम अद्वितीय रचना है और इसी प्रकृति द्वारा प्रदत्त अनेकों गुण इसमें विद्यमान हैं। कुछ गुण ऐसे हैं जो अधिकांश महिलाओं में पाए जाते हैं जैसे आंसू बहाना, बहुत डरपोक होना, ईर्ष्या करना, बहुत ज़्यादा बोलना, सौंदर्य प्रेमी होना।

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श्रद्धा-सौंदर्य एवं लक्ष्मी है नारी

भारतीय नारी सौंदर्य की अभिव्यक्ति का प्रमुख साधन माध्यम भी है। सत्यं, शिवं के साथ ईश्वर की तीसरी विशेषता सुन्दरम् है। ईश्वर को सुन्दरता बहुत प्रिय है और उस का अंश होने के कारण जीवात्मा भी प्रत्येक सुन्दर वस्तु को देख कर आकृष्ट होती है।

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साड़ीः राष्ट्रीय महिला पोशाक

साड़ी भारतीय नारियों का परम्परागत राष्ट्रीय परिधान है। यह हमारे संस्कारों से जुड़ी है। यह भव्यता और गरिमा देती है।भले अत्याधुनिक भारतीय महिलाएं अन्य परिधानों की ओर ललक दिखा रही हों, साड़ी का कोई विकल्प नहीं।

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शॉपिंग मेनिया महिलाओं में विशेष एक मानसिक रोग

-मिलनी टण्डन नए ज़माने, नए दौर में, तरह-तरह के मानसिक रोगों की संख्या बढ़ती जा रही है- पुरुषों और महिलाओं दोनों में। ख़ास बात यह है कि स्वयं रोगी को अपने रोग का ज्ञान या आभास नहीं होता। ऐसा इस कारण कि वह रोग उसकी आदत या प्रकृति या स्वभाव में शुमार हो जाता है। दूसरा व्यक्ति जो रोगी के ...

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