साहित्य सागर
जनता का चालान समारोह
-शैलेन्द्र सहगल मैं एक पुलिस नाके से बोल रहा हूं। आज यहां पर ए.एस.आई – सरदार सिंह अपने पूरे तामझाम सहित मौजूद हैं और कोटा पूरा करने के लिए अर्थात् रिकॉर्ड पूरा करने के लिए चालान समारोह का आयोजन हो रहा है। मैं पत्रकार हूं मुझे पूर्व निमन्त्रण भेज कर तो बुलाया नहीं गया था। आम परिस्थितियों में तो पत्रकारों ...
Read More »ख़ुदगर्ज़
“सिस्टर जल्दी करो पेशेंट को ऑपरेशन थियेटर पहुंचाओ, फौरन ऑपरेशन करना पड़ेगा।” बदहवास से डॉक्टर रवि नर्स से कह रहे थे। उनके सहकर्मी देख रहे थे कि सदैव संयत रहने वाले डॉक्टर रवि इस पेशेंट के आने से काफ़ी परेशान थे। “विमल, देख यार इस पेशेंट का ऑपरेशन पूरे ध्यान से करना।” डॉक्टर रवि अपने मित्र व सहकर्मी विमल से ...
Read More »सार्थकता
पत्थर ही रहने दो
मैं एक सिलसिला हूं
डिग्री
ऐ वक़्त
खारा बादल
खुशख़बरी सुनते ही डॉक्टर दीपा ने सोचा कि डॉक्टर स्वराज को फ़ोन किया जाए, “अस्पताल जल्दी पहुंचो, तुम्हारे साथ एक बहुत बड़ी खुशी बांटनी है।” उसे पता था, वह आगे से कहेगा, “खुशियां तो होती ही बांटने के लिए हैं, पर थोड़ा सा पता तो लगे?” “बस तुम जल्दी आ जाओ, यह खुशी मिल कर ही बताई जा सकती है।” ...
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