साहित्य सागर

26 जनवरी

–शबनम शर्मा आज नया साल चढ़ा है। अभिमन्यु को गये पूरे तीन साल हो गये। वीरां हर रोज़ घर का सारा काम निपटाकर बाहर आंगन में बैठ जाती। जैसे ही उसे कोई साइकिल की घंटी बजती सुनाई देती, उचक कर देखती। डाकिये के आने का समय है। सरकार ने अभिमन्यु को वीर चक्र देने की घोषणा की थी। पूरा सप्ताह ...

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भ्रष्टाचार से एक मुलाक़ात

-बलदेव राज भारती 15 अगस्त की रात्रि 10 बजे थे। मैं अपने कमरे में बैठा कोई रचना लिखने में व्यस्त था। अचानक तेज़ हवा के एक झोंके ने बन्द दरवाज़े को खोल दिया। खिड़कियां ज़ोर-ज़ोर से खड़कने लगी। मुझे दूरदर्शन पर देर रात्रि चलने वाले भूतीया धारावाहिक ‘आप बीती’ की याद हो आई। मुझे लगा कि कमरे में किसी प्रेतात्मा ने ...

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मरसिये की उम्र

मीरा के जाते समय उसने मीरा का हाथ छोटे बच्चे के सिर की तरह सहलाया। जिस मीरा के साथ उसने घर बसाने का सपना देखा था, उसी मीरा के लिए उसके बनवासी बोल उभरे, “अपनी कहानी लोरी से शुरू हो कर मरसिया पर ख़त्म हो गई है।” चलती लुओं में मीरा की खामोशी शीत बनी रही। उस के हाथों का ...

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ब्रह्मलोक का आधुनिकीकरण

– दविन्द्र कालिया करोड़ों साल बाद तपस्या में लीन जब ब्रह्मा ने आंखें खोलीं तो सबसे पहले उनकी नज़र रिमिक्स धुन बजा रही सरस्वती पर पड़ी। ऐसी धुन उन्होंने पहले कभी नहीं सुनी थी। अपना आश्चर्य दूर करने के लिए ब्रह्मा जी ने सरस्वती से पूछा। ‘ये कौन-सी धुन बजा रही हो देवी?’ ‘आप जाग गए प्रभु।’ तभी सरस्वती ने ...

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परिवर्तन

-सुमन यादव बचाओ, बचाओ की गूंज सुनाई पड़ रही थी। एक युवक खून से लथपथ था। चन्द जनों ने उसे उठाकर अस्पताल तक पहुंचाया। एक सज्जन ने पुलिस अधिकारी को फ़ोन पर दुर्घटना की जानकारी क्या दी कि अधिकारी ने कड़क कर कहा- ‘ठीक है, ठीक है। तुम उसे अस्पताल पहुंचा दो। अभी मैं पार्टी में हूं। दो घंटों में ...

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