बलदेव राज भारतीय

उपहार

मां! तुम भी एक बात ध्यान से सुन लो। तुम उसकी मार सह सकती हो.... परन्तु मैं नहीं। उन्हें यह बात अच्छे ढंग से समझा देना कि मेरे ऊपर हाथ न उठाएं। नहीं तो अच्छा नहीं होगा। तुम अपने बापू के लिए ऐसा कह रही हो! क्या कर लोगी तुम?

Read More »

पलायन

अम्मी जान तुम ही बताओ- दहशतर्गदों की वजह से कारखानेदार अपने कारखाने बंद कर घाटी से पलायन कर गए हैं। रोज़गार के जो छोटे-छोटे मौक़े मिल जाते थे, वे भी ख़त्म हो चले हैं। अब तो यही ठीक रहेगा कि हम भी घाटी को छोड़कर कहीं और चले जाएं।

Read More »

बंटवारा

धरती बांटी अंबर बांटा बांट दिया जग सारा मानव तेरी चाल के आगे ईश्वर भी है हारा ईश्वर ने तुुझको बनाया

Read More »

कृष्ण वंदना

दरस दिखादे तरस तू खा ले मुझपे मेरे कन्हैया उम्र बीत गयी अब तो पार करदे मेरीी नैया हर प्राणी के स्वर में मोहन बजती तेरी मुरलिया मेरे मन के भाव भी समझो कृपा करो सांवरिया

Read More »

भ्रष्टाचार से एक मुलाक़ात

-बलदेव राज भारती 15 अगस्त की रात्रि 10 बजे थे। मैं अपने कमरे में बैठा कोई रचना लिखने में व्यस्त था। अचानक तेज़ हवा के एक झोंके ने बन्द दरवाज़े को खोल दिया। खिड़कियां ज़ोर-ज़ोर से खड़कने लगी। मुझे दूरदर्शन पर देर रात्रि चलने वाले भूतीया धारावाहिक ‘आप बीती’ की याद हो आई। मुझे लगा कि कमरे में किसी प्रेतात्मा ने ...

Read More »

सावित्री

  घर में शादी की चहल-पहल थी। सावित्री की नज़रें रास्ते पर लगी थी। ‘सुनो जी, मानव, मधु और बच्चे अभी तक नहीं पहुँचे। उन्हें फ़ोन करके पूछ तो लो, कहाँ हैं अब तक?’ सावित्री ने अपने पति दीनानाथ की ओर मुड़ते हुए कहा। ‘दादी जी, मैंने अभी फ़ोन किया था, वे रास्ते में हैं – बस पहुंचने ही वाले ...

Read More »