चोर चोर तो फिर भी मौसेरे भाई होते हैं, पर दाग़ी दाग़ी सगेरे भाई होते हैं। लोकतंत्र की ख़ास बात यह होती है कि यहां संख्या का गणित चलता है
Read More »बलदेव राज भारतीय
बापू की भारत यात्रा
सुनो, चरखायान को वापस मोड़ लो मैं आगे नहीं जाना चाहता। जिस सत्याग्रह को मैंने अपना हथियार बनाया था। उसी सत्याग्रह हथियार बना लिया लोगों ने।
Read More »दशहरे पर करें भीतर के रावण का दहन
ऐसा लगता है कि हम जितना ऊंचा पुतला रावण का जलाते हैं, उससे कहीं ऊंचा रावण हमारे मन के भीतर खड़ा हो जाता है।
Read More »क़लम की व्यथा कलम की ज़ुबानी
मैं कल तक इसी मनुष्य की उंगलियों की गु़लाम थी। इसी के ईशारों पर नाचती रही। अतः जैसा यह नचाता रहा, वैसे मैं नाचती रही।
Read More »नए वर्ष का प्रवेश द्वार
जी हां, सबकी रग-रग में बस चुका, मैं हूं भ्रष्टाचार। नववर्ष में भी बढ़ेगा अभी मेरा परिवार। झट से खोलो द्वारपाल, मेरे लिए नववर्ष का द्वार।’
Read More »योजना एक सीरियल बनाने की
मैं एक कॉमेडी सीरियल का निर्माण करने जा रहा हूं- ‘क्योंकि छाछ भी कभी दही थी।’ इसके लिए मुझे कलाकार चाहिए। यदि आप में से कोई
Read More »अधिकार
मैं स्वतन्त्र हूं, स्वाधीन हूं, आजा़द हूं मुझे संविधान कुछ मौलिक अधिकार देता है भिन्न-भिन्न प्रकार की विभिन्नताओं, विविधताओं और असमानताओं के बीच समानता का अधिकार
Read More »राजनीति का हलवा
आने वाले इलेक्शन की कुछ ऐसी ही तैयारी है रूठा कोई है, कोई मनाता और कहीं समझौता है देख रहे हैं दलबदलू किसको कहां पर मौक़ा है? कौन कहां पर हुआ है आऊट किस को मिल गया चौका है?
Read More »जय हो
जय हो, जय हो, जय हो हिमगिरि और रेगिस्तान पूर्वांचल और दक्कनमान नदियां जिसकी शोभा बढ़ाएं ऐसा भारत का मैदान केरल से कश्मीर तक भारत के भूभाग की जय हो, जय हो, जय हो
Read More »साक्षात्कार सन् 2017 का
-बलदेव राज ‘भारतीय’ 22 दिसम्बर की रात। सर्दी अपने पूरे यौवन पर थी। श्रीमती जी एवं बच्चे सो चुके थे। चूंकि आज मेरा जन्मदिन था और इस अवसर पर मैंने अपने कुछ साहित्यकार मित्रों को आमंत्रित किया हुआ था। उन सब के खान पान का रूखा सूखा इंतज़ाम श्रीमती जी के ज़िम्मे था। एक अच्छे पति की भांति मैं भी ...
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