-मुनीष भाटिया स्वतंत्रता के अड़सठ वर्ष बाद जब देश की महिलाओं की दशा पर दृष्टि डाली जाती है तो सहसा सामने वह रोगी आ खड़ा होता है जिसे शुरू में तो कोई एकाध रोग ही था किन्तु परिचारकों के प्रसाद एवं समीचीन औषधि के अभाव में रोग उत्तरोत्तर बढ़ता ही गया। जिस राष्ट्र में कभी नारी की साड़ी उतारने का ...
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अश्लीलता के विरुद्ध जीतना है एक और महाभारत
–मुनीष भाटिया आज यदि समाज पर दृष्टि डाली जाए तो यहां ऐसी वृत्तियां पनप रही हैं जिसमें नैतिक शिक्षा, सदाचार की अपेक्षा अनैतिकता व भ्रष्ट आचरण को महत्त्व दिया जा रहा है। इन सबका खामियाजा दुर्भाग्य से नारी समाज को भुगतना पड़ रहा है। समाज की भ्रष्ट प्रवृत्ति के कारण नारी को वस्तु बनाकर उपयोग किया जा रहा है। सौंदर्य ...
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