सुरेन्द्र सिंह चौहान ‘काका

गीत

राहें मुहब्बत भी कैसा सफ़र है दूर है मंज़िल बहकी डगर है क़ुदरत ने पहले हमको मिलाया क़िस्मत ने ऐसा खेल खिलाया अपना पता है न तेरी ख़बर है राहें मुहब्बत भी कैसा सफ़र है

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क्यों होता है प्यार अंधा

–सुरेन्द्र सिंह चौहान ‘काका’ मैं वह रात कभी नहीं भूल सकती, जब मैं हाथों में चाय का प्याला लिए घड़ी की सुइयों को देख रही थी। मैं हाल ही में चंडीगढ़ से मुम्बई आई थी। आज की शाम मैंने अपने प्रेमी चेतन के साथ गुज़ारी थी। मुझसे विदा लेने के बाद वह एक अन्य युवती के साथ फ़िल्म देखने चला ...

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स्वातंत्र्य आंदोलन में साहित्यकारों का योगदान

सुरेन्‍द्र सिंह चौहान काका सर्वप्रथम हम नमन करते हैं भारत के उन समस्त ज्ञात-अज्ञात शहीदों को जिन्होंने स्वतंत्रता की बलिवेदी पर अपने प्राण उत्सर्ग कर दिये। स्वतंत्रता आन्दोलन भारतीय इतिहास का वह युग है जो पीड़ा, कराहट, कड़वाहट, दंभ, आत्मसम्मान, गर्व, गौरव तथा सबसे अधिक शहीदों के लहू को समेटे है। स्वतंत्रता के इस महायज्ञ में समाज के प्रत्येक वर्ग ...

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